शोशेबाजी में माहिर दुष्यंत चौटाला
हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने गुरुवार को एक प्रेस क़न्फ्रेंस करके घोषणा की है कि हरियाणा में 50त्न से 75त्न लोकल कैंडिडेट्स को नौकरी देने वाले उद्योगों/संस्थानों को सरकार की ओर से 48000 रुपये वार्षिक दिए जायेंगे। दुष्यंत ने नई ‘ का ऐलान करते हुए यह बात कही। दो महीना पहले दुष्यंत ने निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए 75 फीसदी नौकरियां आरक्षित करने का निर्देश दिया था। लेकिन उद्योग जगत ने उनकी इस घोषणा का समर्थन नहीं किया। फरीदाबाद इंडस्ट्रीज एसोसिएशन समेत तमाम औद्योगिक संगठनों ने इसका विरोध किया। दुष्यंत ने इसके बाद विधानसभा में प्राइवेट नौकरियों में आरक्षण का बिल भी पारित करा लिया। लेकिन किसी कंपनी से हरियाणा सरकार को उत्साहजनक जवाब नहीं मिला। अब प्राइवेट कंपनी मालिकों को रिझाने के लिए 48000 रुपये देने की घोषणा की गई है। हरियाणा में जिन कंपनियों का टर्नओवर लाखों में है, क्या वे सरकार से 48000 रुपये पाने के लिए उसके झांसे में आएंगे।
दुष्यंत की शोशेबाजी बढ़ती जा रही है। वो चाहते हैं कि निजी क्षेत्र में 75 फीसदी नौकरियां देने का राज्य में विरोध हो और वे शिवसेना की तरह हरियाणा के एकछत्र नेता बन जाएं। दुष्यंत का यह सपना पूरा होने वाला नहीं है। लेकिन यह चिंता का विषय है कि इतना पढ़ा लिखा नेता संविधान के दायरे से बाहर जाकर हरियाणा में सिर्फ लोकल लोगों को प्राइवेट नौकरियां देने की वकालत कर रहा है। संविधान ने आजादी है कि भारतीय नागरिक किसी भी राज्य में जाकर नौकरी कर सकते हैं।
ऐसा लगता है कि दुष्यंत समेत सारे भाजपाई और जेजेपी नेता उद्योगपतियों को बेवकूफ समझते हैं। जो उद्योग बिहार, यूपी, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़ की सस्ती लेबर के दम पर चल रहे हों, वो लोकल लोगों को नौकरी देकर क्यों मुसीबत मोल लेना चाहेंगे। लोकल लोगों को निजी क्षेत्र में नौकरी देने के अपने खतरे हैं। यही वजह है कि दुष्यंत की यह घोषणा एक शोशेबाजी के अलावा कुछ नहीं है। लेकिन जनता इन बातों से सरोकार रखे कि नेता किस तरह उन्हें हरियाणा बनाम बिहार या यूपी की लड़ाई में उलझाना चाहते हैं। दरअसल, हरियाणा के युवकों से दुष्यंत का वादा था कि सरकारी नौकरियों में राज्य के युवकों को प्राथमिकता मिलेगी। लेकिन पद खाली पड़े होने के बावजूद सरकारी नौकरियां हरियाणा के युवकों को मिल नहीं रही हैं। कुछ विभागों में लिखित परीक्षा तक हो चुकी है लेकिन उनके नतीजे घोषित नहीं किए जा रहे हैं। हरियाणा का युवक हमेशा सरकारी नौकरी चाहता है। लेकिन दुष्यंत उसे प्राइवेट नौकरी के लॉलीपॉप से बहलाना चाहते हैं।
मजदूर मोर्चा के पाठकों को याद होगा कि यही दुष्यंत कल तक किसानों के लिए बड़ी बड़ी बातें करते थे लेकिन जब किसान इस सर्दी में सडक़ों पर बैठा है तो दुष्यंत दिल्ली की खान मार्केट में शॉपिंग करते नजर आ रहे हैं। इस संबंध में मजदूर मोर्चा ने पिछले अंक में रिपोर्ट प्रकाशित की थी।