यस बैंक-खाय गोरी का यार बलम तरसे
पिछले दिनों बदनाम हुए ‘यस बैंक’ के बारे में रोज नई-नई जानकारियां सामने आ रही हैं। पहली तो यही थी कि बैंक की कुल पूंजी यानी शेयर और जमा राशि 2.09 लाख करोड़ थी तो बैंक ने 2.41 लाख करोड़ के लोन दे रखे थे। इनमें अदानी ग्रुप को 14730 करोड़, अम्बानी को 14330 करोड़, ‘जी न्यूज’ वाले सुभाष चन्द्रा के ऐस्सल ग्रुप को 3300 करोड़ तो वेदान्ता ग्रुप को तकरीबन 1100 करोड़ रुपये दिये गये थे। यह भी उजागर हुआ कि 2014 यानी कांग्रेस के समय तक बैंक ने कुल 5500 करोड़ रुपये का लोन दे रखा था जो मोदी जी के समय बढकर 241000 करोड़ हो गया। इस समय दिये गये 155000 करोड़ के लोन मोदी जी के यारों को दिये गये जो अब उसे लौटाने की स्थिति में नहीं है या लौटाना चाहते नहीं हैं।
मजे की या शर्म की बात यह है कि रिजर्व बैंक को पिछले लगभग तीन साल से सारी स्थिति का पता था और उसकी ओर से बाकायदा निगरानी करने के लिये एक अधिकारी को नियुक्त भी कर दिया गया था। लेकिन इसके बावजूद किया कुछ नहीं। दूसरी तरफ सरकारी विभागों तक को अलर्ट जारी नहीं किया। नतीजतन हरियाणा विद्युत प्रसारण निगम ने भी 1000 करोड़ रुपये कर्मचारियों के भविष्य निधि के इस बैंक में जमा करवा दिये। हिमाचल प्रदेश ने भी कई सौ करोड़ रुपये इस बैंक में जमा करवाये। एक तरफ सरकारी विभाग अपने कर्मचारियों का पैसा इस बैंक पर लुटा रहे थे और मोदी जी के यार बैंक को लोन के नाम पर लूट कर ले जा रहे थे। इसे ही कहते हैं-खाय गोरी का (मोदी का) यार बलम तरसे, रंग बरसे।
नये न्यायालय नये कानून
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अजय कुमार बिष्ट उर्फ योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ के बीचों बीच ऐसे करीब 20 लोगों के नाम, पते व फोटो सहित पोस्टर (होर्डिंग) लगवाये हैं जिनको उनकी पुलिस दंगों में सरकारी/ निजी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाने का जिम्मेदार मानती है। इसके खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खुद ही संज्ञान लेकर सुनवाई की और इसे गैर-कानूनी करार दिया तथा इसे नागरिकों के निजता के अधिकार का उल्लंघन मानते हुये वो होर्डिंग हटाने का आदेश दिया। इस पर यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गयी। लेकिन वहां भी उसे अभी कोई छूट नहीं मिली बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यूपी सरकार के काम के समर्थन में कोई कानून नहीं है और हाई कोर्ट के आदेश पर स्टे भी नहीं दिया। लेकिन हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करते हुये होर्डिंग अभी भी अपनी जगह पर लगे हुये हैं। इस बीच समाजवादी पार्टी ने उनके साथ बीजेपी के बलात्कारी एमएलए सेंगर व एमपी चिन्मन्यानंद के होर्डिंग लगवाये हैं। जिसे योगी ने पुलिस से तुरन्त फड़वा दिया।
बैंकों से लाखों करोड़ रुपये के लोन डकार जाने वालों के नाम बताने को मोदी और योगी सरकार तैयार नहीं, काले धन के खातेदारों के नाम बताने को सरकार तैयार नहीं, बलात्कारियों के नाम के होर्डिंग लगाने को तैयार नहीं लेकिन विरोधियों को दंगाइयों के नाम से प्रचारित और बदनाम करने के लिये उनके पोस्टर/होर्डिंग लगाने की इनको बड़ी जल्दी है। इसके लिये किसी कोर्ट कचहरी की जरूरत नहीं। बस पुलिस या योगी, मोदी और अमित शाह ने कह दिया वही दंगाई और मुजरिम। मारो इनके पिछवाड़े पे डंडे और वसूलो जुर्माना। ये लोग ही नये न्यायालय हंै, यही अपने आप में कानून हैं।
अमेरिका-(गरीबों की) चमड़ी
जाये पर दमड़ी न जाये
अमेरीका में कुछ सीनेटरों ने कोशिश की थी कि ऐसा कानून बनाया जाये जिससे सभी की कोरोना वायरस की मुफ्त जांच हो और इसके मरीज़ों को 14 दिन की वेतन सहित छुट्टी दी जाये। इसको एक रिपब्लिकन सीनेटर ने रोक दिया। इसका कारण यह बताया गया कि इसके लिये पर्याप्त पैसा नहीं है। दूसरी तरफ शेयर बाजार में मची तबाही से बचाने के लिये अमेरीका ने वहां की कंपनियों को 1500 अरब डॉलर की सस्ते रेट पर ऋण देने की घोषणा की है। ध्यान दिला दें कि अमेरिका में अभी भी कोरोना की मुफ्त जांच का कोई प्रावधान नहीं है, इलाज मुफ्त करना तो दूर की बात है।
यानी कि चाहे इन्सान भले ही मर जायें उस पर एक पैसा खर्च नहीं करेंगे पर कंपनियों को घाटा नहीं होना चाहिये। यानी कि चमड़ी जाये पर दमड़ी न जाये। और वो चमड़ी भी गरीबों की।