अपने बयान पर खुद फंसे कृष्णपाल गूर्जर, युवकों ने घेरा
मोदी को मिले डिसलाइक को लेकर विपक्ष पर आरोप लगाए थे
मजदूर मोर्चा ब्यूरो
फरीदाबाद: प्रधानमंत्री मोदी को डिसलाइक (नापसंद) करने के बाद केन्द्रीय मंत्री कृष्णपाल गूर्जर ने जब प्रधानमंत्री के पक्ष में सोशल मीडिया पर बोला तो युवकों ने उन्हें भी घेर लिया और डिसलाइक कर दिया। ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी केन्द्रीय मंत्री को ऐसे हालात का सामना करना पड़ा और वह भी ऐसा शख्स जिसे प्रधानमंत्री के बाद सबसे ज्यादा वोट पिछले लोकसभा चुनाव में मिले हों। अगर इसे संकेत माना जाए तो निचोड़ ये निकल रहा है कि मोदी की लोकप्रियता की जिस लहर पर सवार होकर कृष्णपाल जैसे नेता संसद में पहुंचे, उसी मोदी की बढ़ती अलोकप्रियता भी अब उनकी नाव डुबोने को तैयार हो चुकी है।
पाठकों की जानकारी के लिए यहां बताना जरूरी है कि पिछले रविवार को मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में हर बार की तरह कई फालतू के मुद्दे उठाए। पहली बार ऐसा हुआ कि यूट्यूब पर इस कार्यक्रम को लाइक (पसंद) से ज्यादा साढ़े तीन लाख डिसलाइक मिले। यूट्यूब पर यह चैनल पीएमओ इंडिया चलाता है। ऐसा कभी नहीं हुआ था। प्रधानमंत्री मोदी ट्विटर, यूट्यूब समेत तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोकप्रियता के शिखर पर हैं। ऐसे नतीजे पर मोदी को व्यक्तिगत रूप से करारा झटका लगा। पूरी सरकार सन्नाटे में आ गई। घबराकर सरकार ने 2 सितंबर 2020 को पीएमओ इंडिया के यूट्यूब चैनल पर लाइक और डिसलाइक का बटन ही बंद करा दिया। यानी अब मोदी के मन की बात कार्यक्रम को पसंद करने वाले या नापसंद करने वालों का डेटा उपलब्ध नहीं होगा।
क्या कहा कृष्णपाल ने
मोदी के मन की बात पर जब जनता ने सोशल मीडिया पर थू-थू की और लाखों डिसलाइक आ गए तो मंत्री कृष्णपाल गूर्जर से मोदी का यह अपमान सही नहीं हुआ। उन्होंने इसके लिए फौरन विपक्षी दलों को दोषी ठहरा दिया। कृष्णपाल ने 2 सितंबर को लिखा कि परेशान विपक्षी पार्टियों ने मोदी जी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम को YOUTUBE पर DISLIKE करवाने की मुहिम शुरू कर दी। इनका मोदी विरोध, देश विरोध में बदल गया है। यानी कृष्णपाल के कहने का आशय यह है कि मोदी का विरोध देश विरोध है। क्योंकि मोदी ने जिन ऐप का जिक्र मन की बात में किया था, लोग उन ऐप को इतना ज्यादा डाउनलोड कर रहे हैं कि वे काफी लोकप्रिय ऐप की श्रेणी में आ गई हैं। केन्द्रीय मंत्री ने मोदी को मिले डिसलाइक की तुलना ऐप की लोकप्रियता से कर दी।
जनता ने ठोंक कर दिया जवाब
कृष्णपाल ने मोदी के पक्ष में 2 सितंबर को सुबह 9.55 पर लिखा था लेकिन दो घंटे के अंदर ही उन्हें जनता की ओर से जवाब मिलने लगे। खासकर युवकों ने कृष्णपाल को तीखे जवाबों से घेरा। कुछ ने मंत्री से सवाल किया कि वो किस हैसियत से बोल रहे हैं। कुछ ने कहा कि वे अपने इलाके में बिजली, पानी, सडक़ की चिन्ता करें।
बेरोजगार यशंवत कुमार ने लिखा –
स्टूडेंट्स को पॉलिटिक्स से मतलब नहीं है साहब। हमें रोजगार से मतलब है।
शुभम कपिल ने लिखा – आपकी सरकार मे बैठे आपके अधिकारी भी आपकी बात नहीं सुनते। आप लोगों को इतना ज्ञान मत दीजिए। किसी की कोई सुनवाई न्ही हरियाणा सरकार में भी। युवा का रोजगार छीन लोगे तो वो DISLIKE ही करेगा ओर अभी तो DISLIKE किया हैं। रोजग़ार नहीं दोगे तो सरकार भी गिरायेगा इस देश का युवा। सर, आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि 2017 से अभी तक एसएससी परीक्षा का नतीजा तक यह सरकार घोषित नहीं कर पाई है। एमटीएस, एनटीपीसी परीक्षा के नतीजे नहीं आये। क्या इसके लिए विपक्ष जिम्मेदार है? युवकों के रोजग़ार के लिए सोचिए, वरना ये युवा आपकी पार्टी को 35 सीटों तक फिर से सीमित कर देंगे।
शरद कसाना गूर्जर ने लिखा – मन की बात मन से ही करे। पाँच साल में एक वैकेंसी तक नहीं निकाल पाई मोदी सरकार।
नीरज के. झा ने मंत्री को आड़े हाथों लेते हुए लिखा है – हम सब के प्रतिनिधि होने के नाते आपकी भी ज़िम्मेदारी बनती है हमारी बातों को उठाने की। छात्रों ने बस सोशल मीडिया के माध्यम से अपना आक्रोश जताया और कुछ नहीं। आगे से ऐसा न हो इसलिए मंत्री जी आप भी SPEAK UP FOR SSC,BANKING,RAILWAYS SRUDENTS.
चौधरी प्रदीप श्योकंद ने भी कृष्णपाल को धोने में कसर नहीं छोड़ी। श्योकंद ने लिखा – शर्म आनी चाहिए आपको। बिना सोचे कुछ भी बोल देते हो। ये डिसलाइक एसएससी और रेलवे भर्ती की परीक्षा देने वाले युवकों के थे। यूँ तो फिर बोल कि जो कल 40 लाख ट्वीट किये थे, वो भी सब विपक्ष वालों ने किये थे।
दलाल मीडिया का बाप ट्विटर हैंडल से कहा गया- चुनाव हारने पर भी यही बोलना कि पाकिस्तान और तुर्की के लोगों ने हमारे खिलाफ वोट डाले।
सुदेश कुमार नामक युवक ने लिखा – पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा प्रतिष्ठा हिंदुस्तान की गिरी, इस पर आपने कोई विचार नहीं दिया अपना। या GDP और ECONOMY क्या होती है पता ही नहीं है?
केंद्रीय मंत्री मोदी की तरफ से बोलते समय यह भूल कर बैठे कि देर सवेर ये युवक भगवा गमछा या मफ़लर उतारकर ज़मीन पर उतरेंगे। अभी तो यह शुरूआत हुई है। हो सकता है कि लॉकडाउन पूरी तरह खुलने के बाद ये युवक भाजपा नेताओं और मंत्रियों का घर से बाहर निकलना ना बंद करा दें।