कोरोना की आड़ में बड़े पैमाने पर गिरफ्तारिया
कोरोना काल में देश में आपातकाल जैसे हालात…गिरफ्तारियों के दौर
सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्र नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी क्या बताती है
मजदूर मोर्चा ब्यूरो..
नई दिल्ली: कोरोना की दहशत के बीच केंद्रीय गृह मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के इशारे पर देशभर में पुलिस चुन-चुन कर मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, छात्र नेताओं, पत्रकारों पर या तो केस दर्ज कर रही है या उन्हें गिरफ्तार कर रही है।
गरीबों के मददगार युवा नेता का अपहरण
जरूरतमन्दों को भोजन-राशन पहुंचाने के काम में एक पखवाड़े से जुटे हुए नौजवान भारत सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष योगेश स्वामी को दिल्ली पुलिस ने 16 अप्रैल को बेहद गैर-लोकतान्त्रिक तरीके से उठा लिया है।
दिन में गरीब पौने दो बजे 8-9 पुलिस कर्मी जिनमें 2-3 सादी वर्दी में भी थे, दिल्ली स्थित नौभास के केन्द्रीय कार्यालय करावल नगर पहुँचे। उन्होंने योगेश के बारे में पूछताछ शुरू की और आनन-फानन में उन्हें गाड़ी में डालकर चलते बने। पुलिसकर्मियों ने न अपने आई कार्ड दिखाये, न उठाने का कोई नोटिस दिखाया और न ही वारंट जैसा कोई दस्तावेज ही दिखाया। पूछे जाने पर कहने लगे कि सम्बन्धित दस्तावेज वाट्सऐप पर भेज दिया जायेगा। नौजवान भारत सभा ने दिल्ली पुलिस की इस कार्रवाई को अपहरण बताया है।
योगेश स्वामी दिल्ली में पिछले दिनों शाहीन बाग जैसे धरना-प्रदर्शनों में तो सक्रिय थे ही, दिल्ली भर में चलने वाली अमन-भाईचारा पदयात्रा में भी वे शामिल थे! अभी करावल नागर के इलाके में लॉकडाउन से प्रभावित मजदूर परिवारों के लिए राहत-कार्य और सामूहिक रसोई का काम उन्हीं के नेतृत्व में चल रहा था।
अलीगढ़ में छात्र नेता को पकड़ा
16 अप्रैल को ही अलीगढ़ पुलिस ने मेडिकल कॉलेज ट्रॉमा सेंटर से एएमयू के लोकप्रिय छात्र नेता आमिर मिंटो को गिरफ्तार कर लिया। आमिर वही छात्र नेता हैं, जिनकी वजह से सीएए-एनआरसी के विरोध में यूनिवर्सिटी के छात्र-छात्राएं सडक़ों पर उतरे थे। उनके खिलाफ 15 दिसंबर 2019 को ही इस सिलसिले में अलीगढ़ पुलिस ने केस दर्ज किया था। लेकिन छात्रों के बवाल से डरकर पुलिस इस छात्र नेता को गिरफ्तार नहीं कर रही थी। अब कोरोना के दौरान जब यूनिवर्सिटी बंद है। हॉस्टल खाली हैं और ज्यादातर छात्र घरों को जा चुके हैं तो अलीगढ़ पुलिस ने दिलेरी दिखाते हुए आमिर मिंटो को गिरफ्तार कर लिया।
जामिया फिर बना किरकिरी
11 अप्रैल को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने भी लॉकडाउन के दौरान दिलेरी दिखाते हुए जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी की मीडिया प्रभारी सफूरा जारगर को गिरफ्तार किया। सफूरा पर नागरिकता संशोधन अधिनियम (एनआरसी) के खिलाफ भीड़ जुटाने और हिंसा कराने का आरोप है। सफूरा पर आरोप है कि उन्होंने सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के लिए जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे महिलाओं को जुटाया था। सफूरा जर्गर की गिरफ्तारी उस समय सामने आई है, जब कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए मोदी सरकार ने देशव्यापी लॉकडाउन कर रखा है। सफूरा की गिरफ्तारी से पहले जामिया के पीएचडी छात्र मीरान हैदर को भी दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी के करीब 50 पदाधिकारी छात्रों को दिल्ली पुलिस ने नोटिस जारी किया है। इनकी गिरफ्तारी भी कोरोना और लॉकडाउन का फायदा उठाते हुए किसी भी समय संभव है। जामिया कोऑर्डिनेशन कमेटी वह संगठन है जिसने दिल्ली में सीएए-एनआरसी विरोधी प्रदर्शनों को संगठित करने में बड़ी भूमिका निभाई थी। शाहीनबाग आंदोलन को भी इस संगठन से बराबर मदद मिलती रही है। पुलिस ने इस संगठन पर इसलिए हाथ डाला है कि लॉकडाउन खुलने के बाद ये संगठन दोबारा आंदोलन चलाने की स्थिति में नहीं रहे।
केंद्रीय कैबिनेट ने हाल ही में एनपीआर के लिए 3900 करोड़ से ज्यादा का बजट पास किया है। सरकार के इस फैसले से लग रहा है कि लॉकडाउन खुलने के बाद वह एनपीआर फिर से कराएगी। दोबारा आंदोलन शुरू न हो, उसकी तैयारी पहले से की जा रही है।
पत्रकार पर भी एक्शन
लॉकडाउन के बीच ही यूपी पुलिस ने शुक्रवार को ‘द वायर’ के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन को नोटिस भेजा और अयोध्या पुलिस स्टेशन में पेश होने के लिए कहा।
इस संबंध में एक नोटिस कुछ पुलिसवाले सिद्धार्थ वरदराजन के दिल्ली स्थित आवास पर लेकर आए थे। उनमें से कुछ ने बताया कि वे यह नोटिस देने के लिए अयोध्या से 700 किमी की दूरी तय करके आए हैं।
आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41 (ए) के तहत भेजे गए नोटिस में फैजाबाद पुलिस द्वारा दर्ज एक एफआईआर का हवाला दिया गया है जिसमें दावा किया गया है कि सिद्धार्थ वरदराजन ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बारे में ‘आपत्तिजनक’ टिप्पणी की थी।
यह उन दो एफआईआर में से एक है, जिन्हें फैजाबाद निवासी दो लोगों की शिकायतों पर दर्ज किया गया है। इनमें से एक एफआईआर में शिकायतकर्ता ने सिद्धार्थ वरदराजन के अज्ञात ट्वीट पर आपत्ति जताई है। वहीं, एफआईआर के अनुसार, दूसरे शिकायतकर्ता ने कहा है, अपने ‘ब्लॉग’ पर ‘द वायर’ के एडिटर ने जनता के बीच अफवाह और दुश्मनी फैलाने के उद्देश्य से संदेश प्रचारित किया। बता दें कि 24 मार्च को मोदी द्वारा कर्फ्यू जैसा देशव्यापी लॉकडाउन लागू किए जाने के एक दिन बाद आदित्यनाथ ने आधिकारिक आदेशों का उल्लंघन करते हुए दर्जनों अन्य लोगों के साथ अयोध्या में धार्मिक कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। उस कार्यक्रम के फोटो भी देशभर के अखबारों में प्रकाशित हुए थे। सीएम आदित्यनाथ के साथ अच्छी खासी भीड़ थी। कोरोना के बावजूद सोशल डिस्टेसिंग के सारे मानक ताक पर रख दिए गए थे।
तेलतुंबड़े और नवलखा की गिरफ्तारी
14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती थी और उसी दिन एक बड़े दलित विचारक आनंद तेलतुंबड़े और सामाजिक मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार गौतम नवलखा को गिरफ्तार कर लिया गया। इन्हें भीमा कोरेगांव से जुड़े पुराने मामले में गिरफ्तार किया गया। लेकिन सच यह नहीं है। ये दोनों कार्यकर्ता सरकार और खासकर आरएसएस की नजर में खटक रहे हैं। आनंद हिंदूवादी संगठन औऱ उसकी उग्रता पर लगातार हमले करते रहे हैं। अपनी गिरफ्तारी से ठीक पहले देश के नाम लिखे गए पत्र में इसकी झलक मिलती है। उन्होंने लिखा – मुझे पता है कि भाजपा-आरएसएस के गठबंधन और आज्ञाकारी मीडिया के इस उत्तेजित कोलाहल में यह पत्र पूरी तरह से गुम हो सकता है लेकिन मुझे अभी भी लगता है कि आपसे बात करनी चाहिए क्योंकि मुझे नहीं पता कि अगला अवसर मिलेगा या नहीं।
वह लिखते हैं – इस पूरे मामले में आरएसएस की भूमिका छिपी नहीं थी। मेरे मराठी मित्रों ने मुझे बताया कि उनके एक कार्यकर्ता रमेश पतंगे ने, अप्रैल 2015 में आरएसएस मुखपत्र पांचजन्य में एक लेख लिखा था जिसमें उन्होंने अरुंधति रॉय और गेल ओमवेट के साथ मुझे ‘मायावी अम्बेडकरवादी’ बताया था। हिंदू पुराणों के अनुसार ‘मायावी’ उस राक्षस को कहते हैं जिसे खत्म किया जाना चाहिए। जब मुझे सुप्रीम कोर्ट के संरक्षण में होने के बावजूद पुणे पुलिस ने अवैध रूप से गिरफ्तार किया था, तब हिंदुत्व ब्रिगेड के एक साइबर-गिरोह ने मेरे विकीपीडिया पेज के साथ छेड़छाड़ की।
आनंद की ये लाइनें आपको झकझोर देंगी। लिखते हैं – लोगों की असहमति को कुचलने और धु्रवीकरण के लिए राजनीतिक वर्ग द्वारा कट्टरता और राष्ट्रवाद को हथियार बनाया गया है। बड़े पैमाने पर उन्माद को बढ़ावा मिल रहा और शब्दों के अर्थ बदल दिए गए हैं, जहां राष्ट्र के विध्वंसक देशभक्त बन जाते हैं और लोगों की निस्वार्थ सेवा करने वाले देशद्रोही हो जाते हैं।
जैसा कि मैं देख रहा हूं कि मेरा भारत बर्बाद हो रहा है, मैं आपको इस तरह के डारावने क्षण में एक उम्मीद के साथ लिख रहा हूं। खैर, मैं एनआईए की हिरासत में जाने वाला हूं और मुझे नहीं पता कि मैं आपसे कब बात कर पाऊंगा।