प्रदूषण की आड़ में 40 साल से नहरपार
बसे कुम्हारों को उजाडऩे की कोशिश
मजदूर मोर्चा ब्यूरो
फरीदाबाद: सेक्टर 82 में मिट्टी के बर्तन बनाकर अपना पेट पाल रहे कुम्हारों को उजाडऩे की कोशिश शुरू हो गई है। इन लोगों को प्रदूषण फैलाने की आड़ में हटाया जा रहा है। इन्हें हटाने के लिए हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हूडा) फरीदाबाद सामने आया है लेकिन दरअसल इन्हें हटाने के पीछे और लोग हैं।
सेक्टर 82 दरअसल भतौला गांव का ही रकबा है। जब ग्रेटर फरीदाबाद का कहीं अता-पता भी नहीं था, उससे बहुत पहले से ही करीब दस कुम्हारों के परिवार यहां मिट्टी के बर्तन बनाते आ रहे हैं। इनके अपने पुश्तैनी घर भी हैं। लेकिन बर्तन बनाने का काम ये लोग एक खाली जगह पर कर रहे हैं। पिछले करीब 40 साल से यहां रहने वाले कुम्हारों की तीसरी पीढ़ी अब इस काम धंधे में आ गई है। इस जगह के पड़ोस में ही तिगांव विधानसभा क्षेत्र के भाजपा विधायक राजेश नागर का भी घर है। इसके अलावा कुछ लोगों की दुकानें मुख्य रोड पर हैं।
तोड़ डालीं कुम्हारों की भट्टियाँ
पिछले हफ्ते अचानक हूडा के अधिकारियों और कर्मचारियों का दस्ता जेसीबी मशीनों के साथ पहुंचा और कुम्हारों से कहा कि ये हूडा की जमीन है, इसे खाली करो। तुम लोगों ने प्रदूषण फैला रखा है। इसके बाद यहां पर काम कर रहे दस कुम्हारों की वो भट्टियाँ तोड़ दी गईं, जिनमें ये लोग अपने मिट्टी के बर्तन पकाते हैं। नवरात्र, दशहरा, दीपावली आने वाले हैं, इसलिए इस समय कुम्हारों का ये ‘पीक सीजन’ है। लेकिन हूडा ने उनकी रोटी-रोजी पर लात मार दी। मौके पर पहुंचे हूडा के अधिकारियों ने कुम्हारों से कहा कि हमें ऊपर से तुम लोगों को हटाने का आदेश मिला है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि भाजपा विधायक राजेश नागर ने हूडा अफसरों से इन्हें हटाने को कहा है। उसी के बाद यह कार्रवाई की गई है।
घटना की जानकारी मौके पर लेने गए नारायण प्रजापति ने मजदूर मोर्चा को बताया कि हमने हूडा अफसरों से त्यौहारों का हवाला दिया और कहा कि दीपावली के बाद हम लोग यहां से हट जाएंगे। अभी हमारे पेट पर लात न मारी जाए। लेकिन हूडा के अधिकारी हमारी सुनने को तैयार नहीं हुए। इसके बाद हम अपनी फरियाद लेकर विधायक राजेश नागर के पास गए। विधायक ने आश्वासन दिया कि वे हूडा के अफसरों से बात करेंगे लेकिन ये जगह तो उन लोगों को खाली करनी पड़ेगी, क्योंकि उनकी भट्टियों से यहां पर प्रदूषण फैल रहा है। कुम्हारों ने भाजपा विधायक से कहा कि उन्हें दीपावली तक की मोहलत चाहिए, इसके बाद वे लोग जगह खाली कर देंगे।
यहां मिट्टी बनाने के काम में जुटे भूपन ने स्वीकार किया कि जिस जगह पर हम मिट्टी के बर्तन बना रहे हैं, वह जगह हमारी नहीं है। सरकारी जगह है। लेकिन जब यहां सेक्टर नहीं बसे थे, उससे भी पहले हम लोग शहर से बाहर रहकर यह काम इसलिए कर रहे थे कि ताकि शहरी लोगों को दिक्कत न आए। लेकिन अब भतौला गांव का शहरीकरण होने से हम लोगों पर मुसीबत टूट पड़ी है। हमें यहां से हटना तो है लेकिन हम लोग इस दीपावली तक रुकना चाह रहे हैं। अगर दीपावली से पहले हमें यहां से उजाड़ दिया गया तो हमारा काफी नुकसान होगा और शहर में मिट्टी के दिये की किल्लत भी हो जाएगी।
इस इलाके में बत्तू, हरि, कल्लू, गुल्लू और पप्पू भगत जी की भट्टियाँ तोड़ी गई हैं।
धुएं की आड़, मामला कुछ और
भतौला और डिवाइन आश्रम वाली सडक़ पर दोनों तरफ बैठे प्रॉपर्टी डीलरों और भाजपा विधायक राजेश नागर की आंखों में इन कुम्हारों की भट्टियों से उठने वाला धुआं कुछ ज्यादा ही लग रहा है। हालांकि कुम्हार इन भट्ठियों में लकड़ी का बुरादा इस्तेमाल करते हैं, जिससे बहुत ज्यादा प्रदूषण नहीं फैलता है। जबकि लकड़ी और कोयले के इस्तेमाल से प्रदूषण ज्यादा फैलता है।
दरअसल, पिछले दिनों इन प्रॉपर्टी डीलरों ने सेक्टर 82 की समस्याएं सुलझाने और रजिस्ट्री खुलवाने के लिए विधायक नागर का जोरदार सम्मान किया था। इस सम्मान के दौरान विधायक बहुत खुश नजर आए। सूत्रों का कहना है कि तमाम प्रॉपर्टी डीलरों की नजर करीब बीस एकड़ के इस शानदार प्लॉट पर है।
डीलरों ने विधायक को समझाया है कि अगर यह जगह खाली हो जाती है तो हूडा इस प्लॉट को शॉपिंग कॉम्पलैक्स बनाने के लिए या तो नीलामी करेगा या प्लॉट काट कर बेचेगा। ऐसे में मौके की इस जगह पर धंधा-पानी खूब चलेगा। बता दें कि यह वह पुरानी सडक़ है जो पुराने खेड़ी पुल से आती थी और तिगांव और भतौला गांव को जोड़ती थी। अब इस रोड के दोनों तरफ दुकानें ही दुकानें हैं और यह प्लॉट दुकानों या शॉपिंग कॉम्पलैक्स के लिहाज से बहुत मौके की जगह पर है।
प्रॉपर्टी डीलरों से सम्मानित होने के बाद भाजपा विधायक राजेश नागर को कुम्हारों की भट्टी से निकलने वाला धुआं अचानक बुरा लगने लगा। बताया जाता है कि इसके बाद उन्होंने हूडा अफसरों से इस प्लॉट से कुम्हारों का अवैध कब्जा खाली कराने के लिए कहा। हूडा के कुछ रिश्वतखोर अफसर और कर्मचारी ऐसे मौकों की तलाश में रहते हैं और वे भतौला रोड पर फौरन कब्जा खाली कराने पहुंच गए। यहां के कुछ प्रॉपर्टी डीलरों ने मजदूर मोर्चा को बताया कि इस धुएं से हम लोग बहुत परेशान हैं इसलिए कुम्हारों को यहां से हटवाने की कोशिश में जुटे हैं। लेकिन कुम्हारों का कहना है कि मिट्टी के बर्तनों को पकाने के लिए बहुत धीमी आंच पर उन लोगों की भट्टी मात्र दो-तीन घंटे ही चलती है, और ऐसा रोजाना नहीं होता है।
हरियाणा और पंजाब में जलाई जाने वाली पराली से फरीदाबाद, दिल्ली समेत पूरे एनसीआर की हालत अक्टूबर में जो होती है, वह किसी से छिपा नहीं है। एनसीआर में कई कई दिनों तक स्मोग या धुएं की परत छाई रहती है, उसे कम करने या खत्म करने की बजाय कुम्हारों की भट्टी से उठने वाले धुएं से समस्या खड़ी कर दी गई है। जब एक युवक मजदूर मोर्चा को बता रहा था कि यहां किस तरह इन भट्टियों से प्रदूषण फैल रहा है तो वहां खड़ी एक महिला ने इसका विरोध करते हुए कहा कि पूरे भतौला में चूल्हे पर रोटी बनती है, धुआं तो चूल्हे से भी खूब निकलता है, उसे क्यों नहीं रोकते। वो चूल्हे पर रोटी पकाने वालों के हाथ में है।
बता दें कि भतौला गांव पूरी तरह सेक्टर में आ गया है लेकिन वहां पुराने रहने वाले लोगों का रहन-सहन पुराने जैसा ही है। खुद विधायक राजेश नागर के घर में चूल्हा है। इसके अलावा भतौला और तिगांव में कोई ऐसा घर नहीं है, जहां चूल्हे न हों। गांव के लोगों का कहना है कि जो मजा चूल्हे की रोटी में है, वो गैस पर बनी रोटी में कहां है। जब इन गांव वालों से कहा गया कि चूल्हा जलाने से तो प्रदूषण फैलता है तो उनका कहना था कि चूल्हे की रोटी के आगे ये प्रदूषण-फरदूषण नहीं टिकता है।
दीपावली के बाद हटेंगे कुम्हार?
अब देखना यह है कि दीपावली के बाद कुम्हार यहां से हटते हैं या नहीं। चाक मिट्टी से बर्तन बनाना एक कला है जो कुम्हारों को पीढ़ी दर पीढ़ी ट्रांसफर होती रहती है। यहां से उजाड़े जाने के बाद कहां अपना बसेरा बनायेंगे, यह इन्हें भी नहीं मालूम क्योंकि नहरपार जिस तेजी से शहरीकरण हुआ है, उसमें ऐसी पुश्तैनी कलाओं के लिए कोई जगह नहीं है। किसान-मजदूर का हमदर्द होने का दम भरने वाली खट्टर सरकार के पास ऐसे कुम्हारों को तरीके से बसाने की कोई योजना नहीं है।
बहरहाल, मजदूर मोर्चा की नजर यहां के घटनाक्रम पर बराबर है। देखना है ये है कि जगह खाली कराये जाने के बाद हूडा इसका इस्तेमाल किस रूप में करता है और प्रॉपर्टी डीलरों की गिद्ध नजर यहां से क्या फायदा उठाती है।