दोनों लड़कियां अस्पताल प्रबंधन के सामने देर तक गिड़गिड़ाती रहीं लेकिन अस्पताल प्रबंधन जरा भी नहीं पसीजा।

दोनों लड़कियां अस्पताल प्रबंधन के सामने देर तक गिड़गिड़ाती रहीं लेकिन अस्पताल प्रबंधन जरा भी नहीं पसीजा।
January 03 13:53 2021

सर्वोदय अस्पताल ने कहा – एक लाख दो, तब शव मिलेगा पिता का

एशियन के बाद फरीदाबाद के एक और अस्पताल की गुंडागर्दी

मजदूर मोर्चा ब्यूरो

फरीदाबाद: सर्वोदय अस्पताल ने मरीज की मौत होने के बाद घर वालों को तब शव सौंपा, जब उनसे एक लाख रुपये वसूल लिए। हालांकि उससे पहले अस्पताल तीन लाख रुपये मेडिक्लेम के वसूल चुका था।

मजदूर मोर्चा ने अपने पिछले अंक में एक मरीज से एशियन अस्पताल फरीदाबाद की लूट की खबर प्रकाशित की थी। अब ताजा मामला सर्वोदय का भी आ गया। मध्यम आय वर्ग को ध्यान में रखकर संचालित किए जा रहे इस अस्पताल ने प्राइवेट अस्पतालों में जनता से की जा रही लूट की कहानियों को पीछे छोड़ दिया है।

बेबस सूरी परिवार

गरिमा सूरी के मुताबिक उनके पिता अजय कुमार सूरी का सर्वोदय अस्पताल सेक्टर 19 में इलाज चल रहा था। परिवार शास्त्री कॉलोनी फरीदाबाद में किराये पर रह रहा है। पहले उनका अपना मकान था। लेकिन पिता के इलाज की वजह से मकान बेचना पड़ा। पिता का तीन लाख का मेडिक्लेम भी था। सर्वोदय अस्पताल ने इलाज के एवज में मेडिक्लेम की पूरी राशि तो वसूली ही लेकिन इस दौरान 29 दिसम्बर को अजय कुमार सूरी का निधन हो गया। लेकिन सर्वोदय अस्पताल ने परिवार को शव से देने से मना कर दिया। अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि जब तक सूरी परिवार इलाज के एक लाख रुपये और नहीं देता, तब तक शव नहीं दिया जाएगा। हालांकि इससे पहले अस्पताल तीन लाख के मेडिक्लेम के तहत इलाज कर चुका था।

बाप का शव नहीं मिलने पर अजय कुमार सूरी की दोनों बेटियां गरिमा और उसकी छोटी बहन रोने लगी। दोनों लड़कियां अस्पताल प्रबंधन के सामने देर तक गिड़गिड़ाती रहीं लेकिन अस्पताल प्रबंधन जरा भी नहीं पसीजा।

प्रशासन खामोश

शहर में लूट के अड्डे बन चुके प्राइवेट अस्पतालों का इतना दबाव है कि सारे आला अफसर अस्पतालों और स्कूलों के मामले में चुप्पी साध जाते हैं। सर्वोदय अस्पताल की घटना शाम को सामने आने के बाद शहर के तमाम जागरूक लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया के जरिए डीसी और कमिश्नर को सारी जानकारी दी। लेकिन कहीं से कोई कार्रवाई नहीं हुई। किसी अफसर ने अस्पताल को फोन कर यह तक नहीं कहा कि अजय कुमार सूरी की बेटियों को उनके पिता का शव दे दिया जाए। सोशल मीडिया पर छोटी-छोटी शिकायतों का संज्ञान लेने वाली पुलिस सर्वोदय अस्पताल के इस कुकृत्य पर तमाशा देखती रही, जबकि अस्पताल पर इस मामले में सीधी कार्रवाई तो बनती ही है। सूरी की बेटियों के लिए यह आसान था कि वे अस्पताल पर लापरवाही से इलाज का आरोप लगा कर मामले को उलझा सकती थीं। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। सूरी परिवार में अब कमाने वाला कोई नहीं बचा। दोनों बेटियों ने अस्पताल को साफ-साफ अपनी मजबूरी बताई थी। अधिकारियों को इसकी भी जानकारी दी गई लेकिन इसके बावजूद जिला प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा रहा।

सूरी परिवार की बेटियों सहित सभी नागरिकों को यह भली भांति समझ लेना चाहिए कि यह व्यापारिक अस्पताल वाले अपनी लूट मार का धंधा सीधे तौर पर शासन-प्रशासन की पूरी मिलीभगत से ही चला पा रहे हैं। अपनी इस लूट में से यह चिकित्सा व्यापारी, राजनेताओं व अफसरों की हर प्रकार से सेवा करते हैं। ऐसे में इनसे निपटने के लिए पीड़ित लोगों को शासन-प्रशासन का मुंह ताकने की अपेक्षा इन लुटेरे व्यापारियों के खिलाफ सीधी कार्रवाई करनी चाहिए। यदि नागरिकों का कोई बड़ा समूह इस कार्रवाई के लिए लामबंद न भी हो सके तो अकेले परिवार को संघर्ष का बीड़ा उठाने में गुरेज नहीं करना चाहिए।

 

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