फर्जी जीएसटी जारी कर फरीदाबाद जीएसटी अधिकारी ही वसूली पर निकले
मजदूर मोर्चा ब्यूरो: एक तरफ फ़रीदाबाद में जीएसटी ले चुके दुकानदार मंदी की मार झेल रहे हैं तो दूसरी तरफ लगता है कि कोरोना काल में जीएसटी विभाग के अधिकारी भी वसूली न होने पाने से मंदी की चपेट में हैं| ऐसा ही एक मामला फरीदाबाद 9 सेक्टर का सामने आया है, जिसमे फरीदाबाद डिप्टी कमिश्नर सेल टैक्स के दफ्तर के एक अधिकारी गोल्डन जैन वसूली के चक्कर में घर के कई चक्कर काट चुके हैं|
सेक्टर 9 में रहने वाले सचिन ने बताया कि लॉकडाउन शुरू होने के कुछ दिनों के बाद जब सब जगह सन्नाटा पसरा हुआ था तो अचानक एक दिन दोपहर के तीन बजे उनके घर एक महिंद्रा बोलेरो कार आकर रुकी जिसमे पांच व्यक्ति बैठे थे| घर के दरवाजे पर आकर एक व्यक्ति से दबका मारते हुए कहा कि ‘उधर आओ, साहब बुला रहे हैं’| सचिन ने एहतियातन दरवाज़ा नहीं खोला और दूर से ही बात करने को कहा| इसपर गाड़ी में बैठे गोल्डन जैन ने कहा उनसे घर के भीतर आने की बात कही जिसे सचिन ने नकार दिया| इसपर जैन ने उन्हें अपनी गाड़ी में बैठने के लिए कहा| इस बात को भी सचिन ने नकार दिया| गोल्डन जैन के बात करने के तरीके से बिदके सचिन ने भी उसी लहजे में जैन से कोरोना महामारी फैले होने के बावजूद आने का कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि, ममता डागा नाम की महिला ने इस पते पर जीएसटी ले रखा है और रेंट अग्ग्रिमेंट में वीएस राय बतौर घर के मालिक के हस्ताक्षर हैं, जो कि सचिन के घर का पता है|
सचिन ने गोल्डन जैन को पहले दिन ही बता दिया कि न तो यहाँ कोई वीएस राय है और न ही कोई ममता डागा| इसके बावजूद गोल्डन जैन ने कुल सात बार सचिन के घर जाकर उनपर सरकारी धौंसपट्टी जमाने का पूरा प्रयास किया| क्योंकि सचिन एक पढ़े लिखे और सरकारी महकमे की नब्ज़ समझने वाले आदमी हैं तो उनपर इस धौंसपट्टी का कोई असर नहीं हुआ| गोल्डन जैन ने उन्हें अपना जवाब लिखित में देने को कहा तो सचिन ने भी उन्हें लिखित में आदेश लाने की बात कह हर बार मुहतोड़ जवाब देकर भगा दिया| एक तो पैसे न उगाह पाने की खीज, ऊपर से अपने कारिंदों के सामने हर बार भद्द पिटने का बदला लेने के लिए गोल्डन जैन ने आस-पड़ोस में लोगों को सचिन और उनके घर की छवि खराब करने का काम शुरू किया| सचिन के घर के सामने रहने वाले उनके पड़ोसी क्रिशंपाल खटाना को जा कर अनाब शनाब बात कहते हुए उससे सचिन के किसी जानकार का नंबर प्राप्त किया और फिर उस जानकार को भी फ़ोन कर सचिन के घर की छवि खराब करने की कोशिश की| गोल्डन जैस इतने पर ही नहीं रुका, उसने सचिन के घर वीएस राय के नाम से एक सरकारी सम्मन भेज दिया जिसे सचिन ने स्वीकार नहीं किया|
सातवीं बार गोल्डन जैन को समझ आ गया कि वो जहाँ दाल चढ़ाने में वो लगा है वहां दाल गलने वाली नहीं| इसलिए खुद अगली बार एक हवलदार को लेकर सचिन के घर सम्मन लेकर गए और सचिन को वो पेपर दिखाए जिनके आधार पर जीएसटी जारी किया गया| सचिन ने जब गोल्डन जैन को बताया कि उनका विभाग कितना निकम्मा है कि बिजली के बिल पर नाम कुछ और लिखा है और रेंट एग्रीमेंट पर मकान मालिक का नाम कुछ और उसके बावजूद जीएसटी कैसे दे दिया गया? तो गोल्डन जैन ने कहा कि छोटी मोटी ऐसी गलतियाँ किसी से भी हो जाती हैं|
एक वरिष्ट अधिकारी के पोस्ट पर बैठे गोल्डन जैन कि इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह से विभाग ही फर्जी कागजों पर वैध जीएसटी जारी करता है और उसके बाद इस धंधे में लगे अफसर मौका देख कर कुछ लेने देने के चक्कर में चक्कर काटने शुरू करते हैं| इन सबमे दबका मारना एक मुख्य रणनीति है| वरना क्या कारण है कि साफ़-साफ़ पेपर पर यह दिखाई देने के बावजूद कि बिजली बिल किसी और नाम का है और रेंट एग्रीमेंट किसी और नाम का तो उसपर जीएसटी कैसे जारी कर दिया गया? और यदि जारी हो भी गया तो पहली ही बार में गोल्डन जैन को बताने के बावजूद कि यहाँ इस नाम का कोई कभी नहीं रहा वो क्यों सात बार सचिन के घर चक्कर काटता रहा और आस-पड़ोस में गलतबयानी करता रहा? पर सचिन के यहाँ गोल्डन जैन की दाल नहीं गली और अंत में उसे वहां से पिंड छुड़ा कर ही निकलना पड़ा|
जीएसटी लागू होने के बाद से ही देश के व्यापारियों में हाहाकार मचा और कई का तो यहाँ तक कहना है कि ये जो जीडीपी के रसातल में जाने का खेल है उसमे काफी योगदान जीएसटी का भी है| सरकार ने दावा किया कि जीएसटी लागू होने के बाद एक देश एक टैक्स होने के बाद अफसरों की रिश्वतखोरी और इस किस्म की बदमाशियों से नागरिकों को छुटकारा मिल जाएगा| पर गोल्डन जैन सरीखे अफ़सर मोदी की धोती में से भी पैसे निकलने का हुनर जानते हैं बशर्ते अफसशाही काम कर जाए|