गुंडे, वन विभाग और पुलिस जब बेच  रहे थे अरावली को, तब कहां थी सरकार

गुंडे, वन विभाग और पुलिस जब बेच  रहे थे अरावली को, तब कहां थी सरकार
September 24 10:01 2020

विवेक कुमार

फरीदाबाद : अरावली के खोरी इलाके में सैकड़ों बेघर लोग अब अपना घर कभी नहीं बना पायेंगे। खोरी में पिछले कई सालों से स्थानीय गुंडे, वन विभाग के कुछ भ्रष्ट कर्मचारी और कुछ पुलिस वाले जब यहां पर जमीनें बेच रहे थे उस समय एमसीएफ समेत हरियाणा सरकार की सभी एजेसियां सो रही थीं।

बीते 14 सितम्बर की सुबह फरीदाबाद के अरावली पहाड़ो में स्थित खोरी गाँव के जंगलात में अवैध प्लाट काट कर उनपर बनाये घरों को ढहाने के लिए निगम महकमा पुलिस दस्ता लेकर पहुंचा। 150 एकड़ में बसे लगभग 15000 की आबादी वाले इस इलाके के लगभग 400 मकानों को जमींदोज कर दिया गया। बाकी बचे मकानों को जल्दी ही तोडऩे की कवायद अभी चल रही है।

26 वर्षीय दीपक ने बताया कि यूँ तो यहाँ पुलिस नहीं आती थी पर पिछले कई दिनों से पुलिस की कुछ मोटरसाइकिलें यहाँ चक्कर काटने लगीं थी। एक दिन इलाके के लोगों ने कारण पूछा तो पुलिस वालों ने कहा कि सामने वाले प्लॉट में प्रधानमन्त्री नरेद्र मोदी आने वाले हैं इसलिए हम देख रहे हैं कि कहीं कोई उग्रवादी न हों। पुलिस की बात को मान कर लोग बेखबर अपने काम धन्द्धे में लगे रहे और अचानक 14 सितम्बर को दिन में भारी मात्रा में पुलिस और प्रशासन जेसीबी लेकर आ गया और हमारे घरों को जमींदोज कर गया।

लोकल गुंडों के माध्यम से प्रशासन ने गरीबों का सब लूट लिया

महेंद्र सिंह अलीगढ़ उत्तरप्रदेश के रहने वाले हैं और अपनी आठ बेटियों के साथ अरावली में अवैध बनी इस बस्ती में 15 वर्षों से रह रहे थे। उनकी दो बकरियों और मुर्गियों के पास तक रहने को एक छप्पर नहीं बचा तो उनकी तो बात ही क्या की जाए। सारा सामान उठा कर पहाड़ में बने एक गड्ढे में डाल दिया। बुढ़ापे की अवस्था में महेंद्र ने जिन्दगी की सारी कमाई अपने मकान में लगा दी थी। बबूल के पेड़ की छांव में अपने सामन को इकठ्ठा कर घुटनों को पेट में दे कर बैठी महेन्द्र की पत्नी बस रो रही है, उनके पास घर के नाम पर अब सिर्फ बिखरी इंटें और मलबा ही पड़ा है। पुलिस वालों ने उन्हें अपना मकान बचाने के एवज में पीटा और उनकी छाती पर मुक्के भी मारे।

संदीप सिंह बिहार के रहने वाले हैं और फरीदाबाद के ढाबे में खाना बनाने का काम करते थे। अपने 2 लाख रुपये की गाड़ी कमाई राजदीप नामक आदमी को देकर अपने ही हाथो से घर बनाया था। संदीप ने बताया कि राजदीप से यह जमीन 10 साल पहले ली थी, उस वक्त राजदीप ने एक पर्ची पर लिख कर दे दिया और पक्के कागज देने की बात मकान बना लेने के बाद कही। जब तक राजदीप जिंदा था तब तक टूटने का ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया, तो हमें भी विश्वास था कि नहीं टूटेगा। अब जब मकान टूट गया है तो किसे जा कर पकड़े, क्योंकि राजदीप अब इस दुनिया में नहीं।

राजदीप के बाद अनंगपाल नामक व्यक्ति का नाम सामने आया जो मुख्य रूप से प्लाट बेचता है और उसका सारा खानदान इसी अवैध कमाई में लिप्त है। अनंगपाल का जीजा जिसका नाम( तेजबीर या राजबीर) स्पस्ट रूप से सामने नहीं आया, मोटरसाईकिल पर घूम-घूम कर पूरे इलाके में वसूली करता है और उसके लग्गे-भग्गे गरीबों को धमकाने का भी काम करते हैं। पैसे न मिलने की सूरत में ये गुंडे लोगों के घरों पर ताला तक मार देते थे और पुलिस ने इनके खिलाफ बोलने पर पुलिस भी शिकायतकर्ता को ही पीटने लगती है। अब मकान टूटने के बाद फिरसे ये गुंडे गरीबों को मारपीट की धमकी देने लगे हैं जिससे कि वे उनका नाम न लें।

सूरजकुंड थाना और वन विभाग ही करवाता रहा कब्जा

जितने भी लोगों के घर तोड़े उनमे सभी ने एक बात सामान रूप से बताई कि अनंगपुर गाँव के स्थानीय गुंडों ने इस पहाड़ी की जमीन उन्हें ये कह कर बेचीं कि ये उनकी जमीन है और इसपर प्रशासन का कोई रोल नहीं है। किसी को पक्के कागज नहीं दिए गए और जमीन के पैसे लेने के बदले में एक कोरे कागज पर जमीन की पैमाइश भर लिख कर दे दी गई। अनंगपाल कुछ अन्य लोगों के नाम सामने आये हैं जिन्होंने जमीने बेची है और अब जब मामला तूल पकडऩे लगा है तो पीडि़त लोगों को ये धमका भी रहे हैं कि किसी भी सूरत में उनका नाम न लें। चूंकि ये लोग राजनीतिक और पैसे से प्रभावशाली लोग हैं इसलिए अपना सब कुछ उजडऩे के बावजूद पीडि़त उनका नाम खुल कर नहीं ले रहे हैं।

इलाके के सामाजिक कार्यकर्ता इरशाद ने बताया कि इस लूट और अवैध प्लॅाटिंग की संरचना वह कई दफा सूरजकुंड पुलिस थाने में दे चुके हैं। बजाय उसपर कार्यवाही करने के पुलिस ने उन्ही को बंद कर दिया और कई बार अनंगपाल के पाले हुए गुंडों ने भी हमला किया।

भूख से बिलबिलाते 400 लोगों के पास अब न खाने को खाना है न पीने को पानी। जिन लोगों के घर बच गए हैं उन्होंने सामूहिक रूप से पूड़ी सब्जी बना कर अपने बेघर साथियों को दोपहर का खाना तो खिला दिया पर ऐसा कब तक चलेगा नहीं पता। एक व्यक्ति ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अनंगपुर गाँव से बहुत सारे लोग यहाँ आ कर जमीन के नाम से पैसा भी वसूलते हैं। जमीन बेचने के बाद अनंगपुर के गुर्जरों ने बिजली के मीटर भी लगाये और 13 रुपये यूनिट के हिसाब से बिजली बिल लिया। ये बिजली दिल्ली और फरीदाबाद के ही इलाकों से चोरी के माध्यम से लायी जाती है। पीने के पानी की व्यवस्था भी टैंकरों के माध्यम से यही स्थानीय लोग कर रहे थे जिसके बदले में मोटी रकम भी वसूलते हैं।

जमीन खरीद कर मजदूर वर्ग का आदमी जब मकान बनाने लगता है तब वन विभाग के कर्मचारी अपने हिस्से के रूपये लेने आते रहे हैं। उनका कोई रेट तय नहीं था, जो जितने में पट जाए। इसी तरह लोगों ने बताया कि पुलिस पहले पांच हजार के रेट से पैसा लेती थी। पर पिछले कई महीनो से यदि मकान की दीवार की एक इंट भी लगानी है तो पुलिस को 10 हजार रूपये देने पड़ते हैं। ये पुलिस का बंधा हुआ रेट है। पैसा लेने के मामले में कथित रूप से संदीप नामक एक पुलिस कर्मी का नाम लगभग सभी ने लिया।

प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए इस इलाके को खाली करा लिया। देखा जाए तो पूरी बस्ती ही अवैध बनी हुई है और देर सबेर बचे हुए घर भी टूटेंगे ही। पर कमाल की बात है कि एक इलाके में 30 साल से अवैध प्लोटिंग हो रही है और महकमा कहे कि उसे इसकी कोई खोज खबर ही नहीं, क्या ऐसा संभव है?

सुप्रीम कोर्ट को अमीरों के

अवैध फार्म हाउस क्यों नहीं दिखते?

दरअसल झुग्गी बस्ती और ऐसे अवैध प्लाटिंग के कई पैटर्न होते हैं जिनके तार किसी न किसी राजनीतिक दल या आका से जुड़े होते हैं। पर खोरी के इस कालोनी का पैटर्न अन्य से थोड़ा भिन्न है। यहाँ रहने वालों के पास निवास स्थान के नाम पर कोई भी सरकारी कागज नहीं है और न ही ये यहाँ के वोटर हैं। बावजूद इसके यहाँ लम्बे वक्त से बसे हुए हैं तो इसके पीछे एकमात्र कारण स्थानीय गुंडों द्वारा जमीन बेच कर उसमे प्रशासन से लेकर पुलिस तक को चढ़ावा चढऩा ही है। दरअसल ये पूरा इलाका एक दुधारू गाय की तरह सबको दूध देता रहा इसलिए आबाद भी रहा। पुलिस, वन विभाग, निगम, बिजली विभाग और लोकल गुंडे सब इन गरीबों को लूटते रहे और शायद टूटने का दु:ख उन्हें भी होगा कि उनकी कमाई का एक इलाका निकल गया। पर जल्द ही ये भूखे भेडिय़े अपनी कमाई का रास्ता फिरसे निकाल लेंगे। जिस सुप्रीम कोर्ट को अरावली के नाम से झुग्गी बस्ती और अवैध बसावट का कब्जा दिख रहा है उसे इसी खोरी से सटा अवैध बना राधा स्वामी सत्संग और बड़े-बड़े शादी के पंडाल कैसे नहीं दिखाई दे रहे? सुधि पाठकों को बताते चलें कि अरावली में राधा स्वामी सत्संग के नाम पर सैकड़ों एकड़ की जमीन इसी इलाके में कब्जाई हुई है और अब अरावली में ही बसे एक अन्य स्थान पर कोर्ट के आदेश के बावजूद 12 एकड़ भूमि पर कब्जा कर लिया गया है। इतना ही नहीं क्रिकेट के मैदान और अन्य कई अवैध निर्माण कार्य चल रहे हैं जो कि पैसे से मजबूत लोगो के है।

कोरोना काल में मारे गए गरीब हर प्रकार से मारे जा रहे हैं। मकान तोडऩे से पहले न कोई नोटिस दिया गया न ही एक घंत्ते का भी वक्त कि वे अपना सामान निकल कर कम से कम उसे ही सुरक्षित रख लेते। इस महामारी में कहीं न किराये पर मकान मिलने की संभावना है और कमाई न होने के बाद अब आशियाना भी टूट जाने के कारण भूख और बदहाली से जीवन का संकट उत्पन हो गया है।

टूटे घरों के मालिक अब मोदी सरकार की उन नीतियों और भाषणों का हवाला देकर गालियाँ दे रहे हैं जिनमे उन्होंने मकान देने का वादा किया था। सरकार पाकिस्तान से आने वाले हिन्दुओं को शरण देने की बात करती है और यहाँ अपने ही देश के वैध नागरिकों को जो आत्मनिर्भर भी हैं को उजाड़ देती है। खैर सरकार की नीयत अब किसी से छिपी नहीं है, बशर्ते कोई देखना ही न चाहे। पर न्यायालय को कम से कम इस पूरे प्रकरण में शामिल भूमाफियाओं, वन अधिकारियों, पुलिस और निगम के अधिकारियों को सलाखों के पीछे डालते हुए उनकी भी जवाबदेही तय करनी चाहिए।

 

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Mazdoor Morcha
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