खट्टर के वाहन पर किसानों के डंडे बरसने के लिए ‘पुलिस’ जिम्मेदार कैसे?

खट्टर के वाहन पर किसानों के डंडे बरसने  के लिए ‘पुलिस’ जिम्मेदार कैसे?
December 28 14:42 2020

एसपी राजेश कालिया को हटाया, 13 किसानों पर केस दर्ज

मज़दूर मोर्चा ब्यूरो

फऱीदाबाद: अंबाला में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की गाड़ी पर डंडे क्या पड़े, पुलिस अफ़सरों को इसका जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। इस वजह से अंबाला के एसपी राजेश कालिया को हटा दिया गया। हालाँकि वह कऱीब पाँच महीने पहले ही अंबाला से ट्रांसर्फर होकर आये थे।

 

किसानों ने 22 दिसम्बर को अंबाला में खट्टर को उस वक्त काले झंडे दिखाये जब सीएम शहर में थे। किसानों ने सिर्फ़ खट्टर को काले झंडे दिखाए बल्कि उनकी गाडिय़ों पर डंडे भी बजाये।

आईएएस लॉबी ने इस घटना की जिम्मेदारी पूरी तरह पुलिस महकमे पर डाल दी है। खट्टर चाहते हैं कि इस बात की जाँच हो कि आखिर पुलिस अफ़सरों को किसानों की तैयारी की भनक क्यों नहीं थी?

इसी के मद्देनजऱ सरकार ने वहाँ के एसपी राजेश कालिया को हटा दिया है। उनकी जगह हामिद अख़्तर को अंबाला का एसपी तैनात किया गया है। हामिद अभी तक सीआईडी में एसपी सुरक्षा थे। अब राजेश कालिया को इसी पद पर सीआईडी में भेजा गया है। हामिद अख्तर आईपीएस हैं जबकि राजेश कालिया हरियाणा पुलिस सेवा (एचपीएस) हैं।

आमतौर पर पुलिस की लोकल इंटेलिजेंस यूनिट (एलआईयू) ऐसे प्रदर्शनों और आयोजनों की सूचना जुटाती है, जो सरकार विरोधी होते हैं। पूर्व सीएम भजनलाल के वक्त एलआईयू की बहुत बड़ी भूमिका रहती थी। मौजूदा समय में एलआईयू अपना काम उन पत्रकारों के सहारे चलाते हैं जो ऐसी सूचनाएँ उन्हें दे देते हैं। लेकिन इधर हालात बदल गए हैं। पत्रकारों का एक बहुत बड़ा वर्ग सरकार समर्थक बन चुका है, इसलिए अब उन्हें सरकार विरोधी प्रदर्शनों और आंदोलनों में दिलचस्पी रही नहीं। ऐसा प्रदर्शन करने वाले अब गोदी मीडिया की परवाह भी नहीं कर रहे हैं।

अंबाला में जिस जगह किसान प्रदर्शनकारियों ने खट्टर की कार पर डंडे बरसाये, उसकी उम्मीद दूर दूर तक नहीं थी। मुख्यमंत्री को काले झंडे दिखाने की घोषणा पहले से थी ही नहीं। इस वजह से अंबाला एलआईयू को इसकी कोई जानकारी नहीं थी। लेकिन आईएएस अफ़सरों ने बड़ी चालाकी से सारी जि़म्मेदारी पुलिस पर डाल दी। हालाँकि ऐसी सूचनाएँ आईबी और सिविल एडमिनिस्ट्रेशन के अफ़सरों  को भी मिलती हैं। अगर उनके संबंध सभी दलों के नेताओं से होते तो ऐसी सूचनाएँ होना सामान्य सी बात है। यह घटना बता रही है कि पूरे राज्य में खट्टर की कमज़ोर पकड़ के कारण सिर्फ पुलिस ही नहीं सारा नागरिक प्रशासन तहस नहस हो चुका है।

सरकार बदला लेने में जुटी

खट्टर सरकार का किसान विरोधी चेहरा लगातार उजागर होता जा रहा है। सरकार के निर्देश पर अंबाला में 13 किसानों के खिलाफ हत्या की कोशिश और दंगे से जुड़े आरोप में केस दर्ज किया गया है। हालाँकि राज्य के कई आला अफ़सर इससे सहमत नहीं है। उनका कहना है कि इससे स्थितियाँ बिगड़ेंगी। अभी जब इन किसानों की गिरफ़्तारियाँ शुरू होंगी तो माहौल और खऱाब होगा।

बता दें कि प्रदेश में अंबाला, पंचकूला और सोनीपत नगर निगम के अलावा कई नगर परिषदों और पालिकाओं के चुनाव की प्रक्रिया जारी है। इसी के चलते मंगलवार को भाजपा उम्मीदवारों के लिए प्रचार के उद्देश्य से मुख्यमंत्री मनोहर लाल अंबाला में पहुंचे थे। यहां पहले उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं की बैठक ली और इसके थोड़ी देर बाद जनसभा को संबोधित करने के लिए वह निकले तो ठीक उसी वक्त किसान केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल के काफिले को रोक लिया।

पुलिस की ग़लती

हालांकि कहा जा रहा है कि किसान शांतिपूर्वक तरीके काले झंडे दिखा रहे थे, लेकिन पुलिस ने मुख्यमंत्री को दूसरे रास्ते से निकालने की कोशिश की तो इससे किसान भडक़ गए। उन्होंने गाडिय़ों पर डंडे मारने शुरू कर दिया। मुख्यमंत्री जिस गाड़ी में थे, उस पर भी डंडे मारे। हालात पर काबू करने की जुगत में पुलिस के साथ धक्का-मुक्की में कई किसानों की पगडिय़ां गिर गईं।

यह पुलिस की नहीं खट्टर के नेतृत्व की विफलता है। जनसैलाब किसी एसपी के रोके से नहीं रुका करते। आजमाकर देखना हो तो खट्टर जी अपने विधानसभा क्षेत्र करनाल या गृह जिले में रोहतक में भी आजमाकर भी देख लें।

 

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