उल्टा सीधा काम कर के खा पदकाओ, बाकी समस्या हल हो ना हो उनका कोई क्या बिगाड़ लेगा डीसी हो या जज।

उल्टा सीधा काम कर के खा पदकाओ, बाकी समस्या हल हो ना हो उनका कोई क्या बिगाड़ लेगा डीसी हो या जज।
June 07 05:20 2020

 

नगर निगम की हरामखोरी का एक और नमूना

लाखों डकारने के बावजूद सैशन हाउस के सामने जलभराव

फरीदाबाद (म.मो.) सैक्टर 15ए व 15 की विभाजक रोड पर स्थित सैशन हाउस व उपायुक्त निवास की बीच वाली रोड को तालाब रोड कहना उचित होगा। इस रोड पर पिछले बीसियों सालों से हर बारिश में कई-कई फीट पानी भर जाता है। इस बीच यह सडक़ नगर निगम ने कंक्रीट की भी बना दी पर जलभराव का तमाशा जारी रहा और अनेकों सैशन जज जैसे तैसे इस पानी में से आते जाते रहे।

लेकिन पिछले वर्ष जज साहब ने लताड़ा तो लाखों रूपए खर्च करके पानी निकासी की विशेष व्यवस्था की गई। एक पाइप से पानी सामने 15 सैक्टर की ग्रीन बेल्ट में एक बड़ा सा भूमिगत टैंक बनाकर उसमें ले जाया गया। उस टैंक में पम्प लगाकर और एक पाइपलाईन के द्वारा इस पानी को 15-16 की बीच की रोड़ से गुजर रही ट्रंक सीवर में डाला गया। एक साल तो यह व्यवस्था लगभग ठीक सी रही। लेकिन इस साल अभी 31 मई को आई बारिश ने इसकी पोल खोल दी। जज साहब के सामने की सडक़ फिर डूबी खड़ी थी। खैर जज साहब की कोठी के आगे से तो स्पेशल पम्प लगाकर अभी पानी निकाल दिया गया लेकिन यह सवाल जरूर खड़ा कर गया कि लाखों रुपये खर्च करके जो टैंक  और पाइप लाईन बिछाई गई उसने काम क्यों नहीं किया। डिजाईन की कमी थी या फ़िर उसका निर्माण ठीक नहीं हुआ, या उसका रख-रखाव नहीं किया गया या जैसा कि नगर निगम का हाल है, उल्टा सीधा काम कर के खा पदकाओ, बाकी समस्या हल हो ना हो उनका कोई क्या बिगाड़ लेगा डीसी हो या जज। देखना ये है कि इतने बड़े अफसर और जज साहब भी नगर निगम के इस निकम्मेपन को आम जनता की तरह चुपचाप सहन कर लेंगे या फिर उनकी अक्ल ठिकाने लगायी जायेगी।

इसी तरह का हाल साथ लगती ऑफिसर कॉलोनी में भी देखा जा सकता है जिसमें डीसीपी, एडीसी, सिटी मैजिस्ट्रेट, चार जजों और ज्वाईंट कमिश्नर नगर निगम की भी कोठिया हैं। वहां की सीवर के चार मेनहोल इतनी जर्जर अवस्था में है कि कभी भी ध्वस्त हो सकते हैं और पूरी कॉलोनी की सीवर लाईन बन्द हो सकती है। लेकिन पिछले एक साल से कोई भी अफसर इनको ठीक नहीं करवा पाया है। इतने कमजोर अफसर जो अपनी कॉलोनी को ही ठीक ठाक नहीं करवा सकते वो पूरे शहर की व्यवस्था को क्या ठीक रखेंगे ये समझा जा सकता है। उक्त उदाहरणों से स्पष्ट है कि जो नगर निगम जिले भर के उच्चतम अधिकारियों की भी परवाह ना करते हुए अपनी डयूटी की अनदेखी करते हैं व आम जनता के साथ और क्या कुछ नहीं करते होंगे।

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Mazdoor Morcha
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