इनके टारगेट ज्यादातर छोटे दुकानदार, फलों की रेहड़ी लगाने वाले, सब्जी बेचने वाले, मांस बेचने वाले, लोगों के घरों में काम करने वाले, धोबी-मोची जैसा काम करने वाले लोग होते हैं

इनके टारगेट ज्यादातर छोटे दुकानदार, फलों की रेहड़ी लगाने वाले, सब्जी बेचने वाले, मांस बेचने वाले, लोगों के घरों में काम करने वाले, धोबी-मोची जैसा काम करने वाले लोग होते हैं
September 05 13:44 2020

सहारा इंडिया ने फरीदाबाद में हजारों को बेसहारा किया, करोड़ों का भुगतान रोका

छोटे दुकानदारों, मजदूरों, छोटा-मोटा काम करने वालों के पैसे निवेश में फंसे

मजदूर मोर्चा ब्यूरो

फरीदाबाद: सहारा इंडिया के चिटफंड कारोबार ने फरीदाबाद में हजारों गरीब परिवारों को बेसहारा कर दिया है। करीब 5 से 6 करोड़ रुपये लोगों के डूब गए हैं। कंपनी तमाम स्कीमों में मेच्योरिटी के बावजूद पैसे नहीं दे रही है। जिन एजेंटों ने फरीदाबाद में सहारा इंडिया के कारोबार को फैलाया था, वे उन लोगों से बचते फिर रहे हैं, जिनका पैसा उन्होंने सहारा इंडिया की तमाम स्कीमों में लगवाया था। जी हां, आपने सही पहचाना…ये सुब्रत रॉय की कंपनी है जो खुद को सहाराश्री कहलवाना ज्यादा पसंद करते हैं। ये वही सुब्रत रॉय हैं जो धोखाधड़ी में जेल काटकर आए हैं और केस अभी भी चल रहा है। सहारा इंडिया चैनल चलाता है और राष्ट्रीय सहारा नाम से समाचारपत्र भी प्रकाशित करता है।

क्या है गोरखधंधा?

सहारा इंडिया एक नॉन बैंकिंग चिटफंड कंपनी है जो क्रेडिट सोसायटी में पैसा निवेश कराने के अलावा सहारा यूनिवर्सल मल्टीपर्पज सोसायटी और सहारा एफडी में भी निवेश कराती है। इसके एजेंट देशभर में फैले हैं। पूरे देश में करीब पांच हजार ब्रांच चल रही हैं। फरीदाबाद में इस कंपनी का क्षेत्रीय कार्यालय नीलम-बाटा रोड पर कोतवाली के पास है। कंपनी के एजेंट तरह-तरह से पैसे दोगुने करने का झांसा ग्राहक को देते हैं।

इनके टारगेट ज्यादातर छोटे दुकानदार, फलों की रेहड़ी लगाने वाले, सब्जी बेचने वाले, मांस बेचने वाले, लोगों के घरों में काम करने वाले, धोबी-मोची जैसा काम करने वाले लोग होते हैं। इनसे पांच हजार रुपये से लेकर किसी किसी से पचास हजार रुपये का निवेश किसी स्कीम में करा लिया जाता है। ग्राहक को बताया जाता है कि कितने समय बाद पैसा डबल हो जाएगा। फिर उसी ग्राहक को डबल पैसे को कई गुणा मुनाफे के लिए बार-बार लगाने को कहा जाता है। इस तरह का झांसा देने के लिए सहारा इंडिया अपने एजेंटों को बाकायदा ट्रेनिंग देता है। इनके एजेंट भी इन्हीं वर्गों के लोग होते हैं जो मामूली वेतन और मोटे कमीशन पर काम करते हैं।

एजेंट सहारा इंडिया के धंधे की शुरुआत अपने रिश्तेदारों का पैसा लगवाकर करता है। कुलभूषण नामक एक एजेंट ने बताया कि उसने अपने रिश्तेदारों के काफी पैसे सहारा इंडिया स्कीमों में फंसा दिए। 2018 में सभी स्कीमों की मैच्योरिटी हो चुकी है लेकिन कंपनी भुगतान के लिए पैसे ही नहीं दे रही है। कंपनी कह रही है कि उसका पैसा फंसा हुआ है, इसलिए वह देने में असमर्थ है। फरीदाबाद के एक बड़े एजेंट ने बताया कि उसके जरिए करीब एक करोड़ रुपये कंपनी में लोगों ने निवेश कर रखा है। किसी स्कीम की मैच्योरिटी 2018 में, किसी की 2019 में तो किसी की 2020 में हो चुकी है लेकिन कंपनी ने सारा पैसा रोक लिया है। इस बड़े एजेंट के साथ कई सब एजेंट भी काम कर रहे थे। इनकी पूरी चेन का पैसा डूब गया। इस बड़े एजेंट का कहना है कि मेरा और मेरे साथियों का घर से बाहर निकलना दूभर हो गया है। जिन रिश्तेदारों का पैसा डूबा है, उनसे नाता टूट चुका है। बाहर निकलने पर लोग मारने दौड़ते हैं, बेइज्जती करते हैं। हम लोग पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं।

यह हैरानी की बात है कि इतनी सारी प्रताडऩा झेलने के बाद अभी तक किसी ग्राहक ने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई है। लेकिन इस सवाल का जवाब उसी बड़े एजेंट ने दिया। उसने कहा कि जिनके पैसे सहारा इंडिया में लगे होते हैं, वो लोग ज्यादातर अनपढ़ लोग होते हैं। उनमें काफी लोग पुलिस का नाम सुनकर ही कांपते हैं। ऐसे ग्राहक सोचते हैं कि तीस-चालीस हजार रुपयों के लिए कौन अपना चैन लुटाने पुलिस के पास जाए। सहारा इंडिया के पास यही तीस-चालीस हजार रुपये कई अरब रुपयों में बदल जाते हैं। सारे भारत में सहारा इंडिया के धंधे का पैटर्न ही यही है।

वित्तीय गड़बड़ी और चौतरफा दबाव की वजह से फरीदाबाद के क्षेत्रीय कार्यालय में स्टाफ लगातार कम होता जा रहा है। कंपनी के अधिकारी एजेंटों के गाली गलौच से बचने के लिए दफ्तर से गायब हो जाते हैं। कुछ एजेंटों ने कंपनी के क्षेत्रीय कार्यालय पर पहुंचकर खुदकुशी और आत्मदाह जैसी धमकियां दी हैं, उसके बाद से कंपनी के अधिकारी गायब रहने लगे हैं।

झूठ बोलना धंधे का हिस्सा है

सहारा इंडिया में निवेश करने वाले ग्राहकों को हर दिन नए झूठ का सामना करना पड़ता है। कंपनी के बड़े अधिकारी एजेंटों को झूठ बोलने के लिए बाकायदा तैयार करते हैं। उदाहरण के लिए, पिछले एक साल से सारे एजेंट ग्राहकों से कह रहे थे कि सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी तरह का भुगतान करने पर सहारा इंडिया पर रोक लगा रखी है। यह सफेद झूठ था, जिसे एक साल तक चलाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने सहारा इंडिया द्वारा दिए जाने वाले भुगतान पर कभी रोक नहीं लगाई थी।

अब एजेंटों को सिखाया गया है कि वे ग्राहकों को बतायें कि सहारा बनाम सेबी का केस चल रहा है। जिसमें 22 हजार करोड़ रुपये कंपनी के सेबी ने रोक लिए हैं। इसी पैसे से ग्राहकों को भुगतान होना है। इसलिए अभी मेच्योरिटी के पैसे लेने के लिए इंतजार करना पड़ेगा। लेकिन सच ये है कि सहारा बनाम सेबी केस का संबंध सहारा इंडिया के कारोबार से नहीं है। सेबी का केस सहारा रियल एस्टेट और सहारा हाउसिंग फाइनैंस के खिलाफ है। लेकिन ग्राहकों को यही बताया जा रहा है कि कंपनी के 22 करोड़ रुपये सेबी के पास फंसे हैं, वो पैसे मिलते ही ग्राहकों को मैच्योरिटी के पैसे मिल जाएंगे। इतना ही नहीं कुछ ग्राहकों और एजेंटों से सहारा इंडिया ने केन्द्र सरकार के नाम वीडियो अपील भी कराई कि सरकार सेबी को सहारा के 22 करोड़ रुपये देने का निर्देश दे। ऐसे वीडियो की कोई कानूनी वैधानिकता नहीं होती और न ही वे कभी सेबी तक पहुंच पाते हैं लेकिन सहारा के बाकी ग्राहकों को जरूर संतुष्टि मिल जाती है कि कुछ हो रहा है तो जरूर पैसे मिल जाएंगे। लेकिन कई ग्राहक ऐसे पैसे मिलने की आस लिए दुनिया से कूच कर गए।

बहरहाल, अभी कल तक जो कंपनी भारतीय क्रिकेट टीम को और इंटरनैशनल मैचों को स्पॉन्सर कर रही थी, उसके पास पैसे की कमी नहीं है। सहारा इंडिया के दम पर ही सुब्रत रॉय का सारा कारोबार चल रहा है। लेकिन उसके ग्राहक अपना ही पैसा वापस पाने में असमर्थ हो गए हैं।

बता दें कि सुब्रत रॉय का अतीत काफी विवादास्पद रहा है। वह पूर्व कांग्रेसी और वर्तमान भाजपा नेता संजय सिंह के नजदीकी लोगों में से हैं।

प्रसिद्ध बैडमिंटन खिलाड़ी सैयद मोदी की हत्या में जब संजय सिंह का नाम उछला था तो उसके कुछ छींटे सुब्रत रॉय पर भी पड़े थे लेकिन पुलिस को सुब्रत रॉय के खिलाफ सुबूत नहीं मिला था। लेकिन बाद में वित्तीय धोखाधड़ी के मामले में आखिरकार जेल भेजे गए।

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Mazdoor Morcha
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