आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) के स्कूलों में पढे भाजपाईयों का कोई मुकाबला नहीं। ये सफेद झूठ बोलने में एकदम माहिर हैं।

आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) के स्कूलों में पढे भाजपाईयों का कोई मुकाबला नहीं। ये सफेद झूठ बोलने में एकदम माहिर हैं।
April 20 05:55 2020

झूठ की नाव पर कब तक तैरेगी भाजपाई सरकार

फरीदाबाद (म.मो.) भाजपाई सरकार चलाने वाले प्रधानमंत्री मोदी हों या हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर, सच तो ये कभी बोल ही नहीं सकते। वैसे तो झूठ बोलने व पाखंड करने में कोई भी राजनीतिक दल पीछे नहीं रहता परन्तु आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) के स्कूलों में पढे भाजपाईयों का कोई मुकाबला नहीं। ये सफेद झूठ बोलने में एकदम माहिर हैं।

14 अप्रैल को पूरे देश को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने फर्माया कि बीते 21 दिन के लॉक-डाउन में पूरा देश अनुशासन में रहा यानी सबने घरों में कैद रह कर मोदी जी के हुक्म की तामील की। जहां तक आम जनता की बात है, वहां तक तो मोदी का कथन ठीक है परन्तु कर्नाटक के एक विधायक, वह भी भाजपा का, द्वारा अपना जन्म दिन मनाने के लिये हज़ारों समर्थकों की भीड़ जुटाना भी इसी अनुशासन में शामिल है?

यूपी के मुख्यमंत्री अजय सिंह बिष्ट उर्फ योगी द्वारा अयोध्या में भगवान राम के नाम पर पाखंड करने के लिये जो हज़ारों की भीड़ जुटाई थी, क्या वह लॉक-डाउन का उल्लंघन नहीं थी?  विदित है कि योगी ने भगवान राम को तम्बू वाले घर से निकाल कर एक अस्थाई घर में तब तक के लिये शिफ्ट किया था जब तक कि उनका भब्य घर यानी मन्दिर न बन जाये।

इस तरह की छोटी-मोटी तो अनेकों बातें विभिन्न राज्यों में होती रही जो बहुत लोगों की पकड़ में भी नहीं आई। लेकिन दिल्ली के आनंद विहार टर्मिनल पर जो लाखों लो$ग एकत्र हो गये थे, वह क्या था मोदी जी? सामाजिक पृथकता की धज्जियां उड़ाते इन लोगों को यूपी के दूर-दराज के विभिन्न इलाकों में पहुंचाने के लिये यूपी सरकार ने हरियाणा से 1000 बसें तभी ली थीं जब उनकी अपनी बसें कम पड़ गयी थीं। वहां जिस तरह की भीड़ में लोग आपस में टकरा रहे थे, यदि उनमें कोई संक्रमित लोग होते तो महामारी फैलाने का पूरा प्रबंध था। इनके अलावा लाखों प्रवासी मज़दूर विभिन्न राजमार्गों पर सैंकड़ों-हजारों मील चलने के लिये पैदल ही निकल पड़े थे। वह सब कौन सा अनुशासन था?

एक लाख बेड

और 600 अस्पताल?

दूसरा बड़ा झूठ मोदी जी बोलते हैं कि उन्होंने इस लॉक-डाउन  के दौरान उन्होंने कोरोना के लिये 600 अस्पताल व एक लाख बेड तैयार कर लिये हैं। यह कोई चीन नहीं है जहां मात्र 10 दिन में एक हजार बेड का अस्पताल तैयार हो जाये, यह मोदी राज का भारत है छ: साल में छ: अस्पताल भी तैयार नहीं हो पाते और तो और तैयार अस्पतालों में न तो पर्याप्त स्टाफ है न साजो-सामान। डॉक्टरों से लेकर सफाईकर्मी तक के आधे पद सदैव रिक्त रहते हैं। मोदी जी जिन अस्पतालों व बेडस को लेकर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं, वे वही पुराने अस्पताल हैं जो पहले से ही मरीज़ों से ठसाठस भरे हुए थे,  बिस्तरों की कमी के चलते मरीज़ फर्श पर लेटने तक को मजबूर थे। उन्हीं तमाम अस्पतालों को खाली करा कर मोदी जी ने बड़े कद्दू में तीर मार लिया है। वे यह नहीं बताते कि पुराने मरीज कहां गये?

मोदी जी एक लाख बिस्तरों की बात तो करते हैं, परन्तु यह नहीं बताते कि वेंटिलेटर कितने तैयार किये उन्होंने? ये एक लाख ‘बिस्तरे’ किसी होटल के लिये तो बनाये नहीं होंगे, जो लोग आयें और सो जायें, कोरोना के इलाज के लिये आयेंगे जिन्हें वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है। वह बात अलग है कि देश की गरीब जनता के सौभाग्य से संक्रमण इतना फैला ही नहीं और न ही फैल पायेगा जिसके लिये मोदी जी के तथाकथित एक लाख बिस्तरों की जरूरत आन पड़े। यदि, खुदा-न-खास्ता ऐसी नौबत आ गयी तो मोदी जी के इन बिस्तरों व अस्पतालों की पोल चौड़े में खुल जायेगी। लेकिन इससे सरकार को कोई फर्क पडऩे वाला नहीं, वे इसे भगवान की कृपा व जनता के पूर्व कर्मों का फल बता कर बच निकलेंगे।

खट्टर की 500 मोबाइल डिस्पेंसरी

 जनता को बेवकूफ बनाने की दौड़ में भाजपाई नेता एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में लगे हैं। जब मोदी इतनी लम्बी-लम्बी छोड़ सकते हैं तो भला हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर क्यों पीछे रहने लगे। उन्होंने भी 500 मोबाइल डिस्पेंसरियां अपने राज्य में चलाने का शगूफा छोड़ दिया। इसके लिये हरियाणा रोडवेज़ की फिलहाल खाली पड़ी बसों को मोडीफाई किया जायेगा।

उपलब्ध जानकारी के अनुसार इस तरह की एक डिस्पेंसरी में एक डॉक्टर एक फार्मासिस्ट, एक नर्स व दो अन्य कर्मचारी होंगे। अब खट्टर जी से कोई पूछे कि आपके पास क्या इतने डॉक्टर व अन्य स्टाफ है जो आप इन बसों में घुमाओगे?  विदित है कि राज्य भर के तमाम अस्पतालों व डिस्पेंसरियों में पहले ही यह सब स्टा$फ अपर्याप्त है। मरीज़ों को इन पक्की डिस्पेंसरियों व अस्पतालों में तो कुछ मिलता नहीं, बात करते हैं मोबाइल डिस्पेंसरियों द्वारा घर-घर जाकर मरीज़ों को देखने की।

असल बात यह है कि राज्य भर में 40-50 ऐसी बसों को चला कर मीडिया में सुर्खियां तो बटोर ली गयी हैं बाकी 500 बसें इस लॉक-डाउन में तो मोडीफाई होने से रही, क्योंकि तीन मई के बाद उन्हीं बसों को अपने-अपने रूटों पर भी तो चलना है।

 

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Mazdoor Morcha
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