आदेश में यह भी कहा गया है कि कम से कम 500 रुपये का सामान मंगाने पर ही दुकानदार घर तक सामान भेजेगा और जो लडक़ा आएगा उसे भी कुछ दे कर विदा किया जाए।

आदेश में यह भी कहा गया है कि कम से कम 500 रुपये का सामान मंगाने पर ही दुकानदार घर तक सामान भेजेगा और जो लडक़ा आएगा उसे भी कुछ दे कर विदा किया जाए।
April 26 07:39 2020

जरूरी वस्तुओं की दुकानें खुली रहें- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

दुकानें बंद रखो- भाजपाई पार्षद धनेश अदलखा

 

फरीदाबाद (म.मो.)  लोगों द्वारा चुनी सरकार के बराबर में एक और सरकार चल रही है इस देश के कोने-कोने में, जिसे चला रहे हैं, संघी दलाल। सेक्टर-9 फरीदाबाद में सरकारी आदेश सुबह 11 बजे से शाम 5 बजे तक जरूरी सामान की दुकान खोल सकने के आदेश से इतर एक नया फरमान सेक्टर के हर दुकानदार को जारी हुआ है, कि अबसे वह दुकान नहीं खोलेगा और घरों में सर्विस चार्ज लेकर सामान भेजेगा। ऐसा आदेश जिला के डीएम् या राज्य सरकार के मंत्री ने नहीं बल्कि इलाके में रहने वाले राज्य सरकार के चेयरमैन व एक पार्षद धनेश अधलखा ने दिए हैं।

अधलखा का हुक्म बजाने के लिए आरडब्लूए ने भी व्हाट्सएप गु्रप में यही तुगलकी फरमान आगे जारी कर दिया और साथ ही अपने जान-पहचान वाली दुकानों के नंबर शेयर कर सबको वहां से सामान मंगाने का बोल दिया। जाहिर है यह न्योता बिना चढ़ावे के तो नहीं अंजाम पर पहुँचाया गया होगा। 20 अप्रैल की दोपहर को सेक्टर -9 आरडब्लूए ने सन्देश तमाम सेक्टर वासियों को पहुँचाया कि अबसे सिर्फ होम डिलीवरी ही होगी।

जब दुकानदारों से बात की गयी तो नाम न छापने की शर्त पर उन्होंने बताया कि चेयरमैन साहब के कहने से हमें दुकाने बंद करनी पड़ रही है। उन्होंने कहा है, बस घर-घर सामान पहुँचाओ। अब जबकि डिस्ट्रीब्यूटर सामान नहीं दे कर जा रहा तो हम ऐसे में कहाँ से इतनी बड़ी वर्क फोर्स लायें जो राशन भी पहुंचाए और पहले बाजार से समान भी लाये। अपनी लाचारी जाहिर करते हुए एक दुकानदार ने बताया, मेरे चेहरे के तनाव को देखकर मेरे घरवाले तक परेशान हो गए हैं और मैं कैसे क्या करूँ समझ नहीं आ रहा। कितने लडक़े लगाऊं जो सबकी डिलीवरी करें। कितने फोन उठाऊं दिन भर?

सेक्टर में रहने वाली एक महिला ने बताया कि इस आदेश में यह भी कहा गया है कि कम से कम 500 रुपये का सामान मंगाने पर ही दुकानदार घर तक सामान भेजेगा और जो लडक़ा आएगा उसे भी कुछ दे कर विदा किया जाए। यानी कम आर्डर तो लिया ही नहीं जाएगा, ऊपरी खर्चा अलग।

सेक्टर में कई प्लाट खाली हैं जिनमे मजदूर रह कर उस प्लाट की रखवाली भी करते हैं और आस-पास के घरों में काम भी। ऐसे में क्या तुगलकी फरमान जारी करने वाले इस आरडब्लूए ने यह मान लिया कि यहाँ सब पांच सौ रुपये वाले ही हैं। आरडब्लूए के सचिव अजय भाटिया की माने तो ऐसा ही है और उनके मुताबिक सेक्टर में कोई भी ऐसा गरीब नहीं रहता। जबकि अधलखा के घर के पास ही ऐसे कई प्लाट और उनमे गरीब परिवार बसे हुए हैं। तो क्या उन गरीबों को यदि सिर्फ एक किलो चावल लेना है तो उन्हें अधलखा अपने घर से देंगे।

मजदूर मोर्चा ने जब आरडब्लूए से जानकारी मांगी तो उनका भी यही कहना था कि स्थानीय पार्षद के आदेश से मार्किट बंद करवाई है। पार्षद के डर से न तो कोई सेक्टरवासी कुछ बोल रहा है न ही दुकानदार। उनका मानना है, क्योंकि अधलखा की राजनीतिक पहुँच खट्टर तक है इसलिए चुपचाप मान लेने में ही भलाई है।

सेक्टर में ही रहने वाले एक अन्य बुजुर्ग व्यक्ति ने बताया कि उनकी बात आरडब्लूए के एक पदाधिकारी से हुई जिसका नंबर गु्रप में मिला। अजय भाटिया नामक आरडब्लूए के सचिव से जब बुजुर्ग ने पूछा कि आप लोगों ने किसके आदेश से दुकानें बंद करवाई हैं तो उन्होंने भी पार्षद का ही नाम लिया। क्या पार्षद को ऐसी कोई शक्ति है जो वह प्रधानमन्त्री या जिला कलेक्टर के सरकारी आदेश को पलट दे, तो अजय ने कहा, नहीं ऐसा कोई आदेश डीसी से नहीं आया है। साथ ही अजय ने कहा, दुकानदारों से पूछ कर ही दुकान बंद करवाई गईं हैं क्योंकि लोग सोशल डिसटेंसिंग को मान नहीं रहे और बहुत भीड़ कर देते हैं। जबकि मजदूर मोर्चा ने जब दुकानदारों से बात की तो लगभग सभी इस फैसले को उनपर थोपा हुआ बता रहे थे। इसका अर्थ है कि आरडब्लूए और अधलखा ने अपने चहेते दुकानदारों से सांठ-गाँठ करके सेक्टर 9 की दुकाने तो बंद करवा दीं पर सप्लाई के लिए सेक्टर 7 और 10 तक की दुकानों के नंबर भेज दिए।

आरडब्लूए ने अदलखा के आदेश किस भावना में आकर सेक्टर वासियों को भेज दिए यह भी संदेह के घेरे में है। यदि सोशल डिसटेंसिंग का उल्लंघन सेक्टर निवासी कर रहे थे तो उसका संज्ञान प्रशासन लेता या अधलखा उसे नियम के पालन कराने की कोई युक्ति करते, न कि प्रधानमन्त्री के आदेश का उलंघन करते हुए दुकाने ही बंद करवा देते। अधलखा ने अपने स्तर पर ऐसा फैसला लेना और आरडब्लूए ने उसे लागू करने का जिम्मा किससे पूछ कर लिया?

एसएचओ सेक्टर -7 पुलिस थाना फरीदाबाद से दुकाने बंद होने की बाबत पूछने पर ज्ञात हुआ कि उन्हें भी ऐसी कोई जानकारी नहीं है और न ही ऐसा कोई भी सरकारी आदेश जारी होने की सूचना उनके पास है। जिन आदेशों के उल्लंघन का हवाला देकर बेचारे दुकानदारों की रोजी रोटी इस मंदी में भी बंद करवाई गई उसका उल्लंघन तो खुद आरडब्लूए और अदलखा कर रहे हैं, वो भी सरकारी आदेश को तोडक़र। होना तो यह चाहिए कि जो जब तक दुकान खोलना चाहे खोल ले। बल्कि 24 घंटे खोलना सबसे अच्छा ताकि सबको एक ही समय पर दुकानों पर नहीं जमा होना पड़े। पहले समय-सीमा रख दी, ऊपर से अब दुकान ही बंद करवा दी। मजे की बात है कि मदर डेरी और वीटा डेरी के साथ-साथ इजीडे जैसे स्टोर खुले हुए हैं। पार्षद ने उन्हें कोई आदेश नहीं दिया क्योंकि शायद इतनी औकात ही नहीं या उनसे कोई सैटिंग हो गई है। इनका वश तो गरीब और मजबूर दुकानदारों पर चलता है जो किसी परेशानी में पडऩे के डर से इनसे उलझना नहीं चाहते और काम की अनचाही दुशवारियाँ ढोए बैठे हैं।

 

पार्षद ही नहीं चेयरमैनी की मलाई भी खा रहे हैं

सैक्टर-9 में रहने वाले धनेश अदलक्खा सिर्फ पार्षद ही नहीं है बल्कि हरियाणा लैंड मोर्टगेज बैक के चेयरमैन भी है। लैंड मोर्टगेज बैंक किसानों को कृषि भूमि रहन रखके ऋण देता है। हालांकि धनेश का ना किसानी से और ना गांव से कोई सम्बन्ध है फिर भी खट्टर से नजदीकी के चलते उनको यह तोहफा मिला हुआ है। इसमें उपरी कमाई तो है ही साथ में चेयरमैनी का पूरा स्वाद अलग से है। लाखों रूपए तन्ख्वाह है, कोठी, घोड़ा गाड़ी, सिक्योरिटी आदि सब ताम-झाम है।  इसके कारण इलाके में रौब मारने में पूरी आसानी होती है। इसी का फायदा उठाकर ये इस तरह के मनमाने फरमान जारी करते रहते हैं।

ऐसे वक्त में जब सरकार अपने कर्मचारियों की तन्ख्वाह में भी  डंडी मार रही है उस वक्त धनेश अदलक्खा जैसे अनेकों चेयरमैन पिस्सुओं की तरह गरीब जनता का धन लूट रहे हैं। अगर इतनी ही सरकारी को पैसे की कंगाली है तो क्यों नहीं ऐसे फालतू के चेयरमैनों को हटाकर ये पैसे बचाये जायें|

 

 

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Mazdoor Morcha
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