आखिरकार डीसी को देना पड़ा देहशामलात जमीनों की पैमाइश का आदेश…

आखिरकार डीसी को देना पड़ा देहशामलात  जमीनों की पैमाइश का आदेश…
August 15 06:59 2020

हजारों करोड़ की जमीन का मामला

मजदूर मोर्चा ब्यूरो

फरीदाबाद: हरियाणा के गांवों में देहशामलात भूमि (विलेज कॉमन लैंड -वीसीएल) की निशानदेही न होने से हरियाणा सरकार को कई अरब के राजस्व का नुकसान हो रहा है। आरटीआई एक्टिविस्ट और पद्मश्री एडवोकेट डॉ. ब्रह्मदत्त की आरटीआई के बाद हरियाणा सरकार को अब होश आया है और उसने सिर्फ बल्लभगढ़ तहसील के इलाके में पडऩे वाली देह शामलात जमीनों की पैमाइश कराने का आदेश दिया है। यह आदेश डीसी फरीदाबाद को मिला और उन्होंने इस पर फौरन कदम उठाते हुए फरीदाबाद, बल्लभगढ़, बडख़ल के तहसीलदारों और तिगांव, मोहना, दयालपुर, धौज और गोंच्छी के नायब तहसीलदारों को पैमाइश का आदेश जारी किया है।

सरकारी लालफीताशाही का नमूना

सुप्रीम कोर्ट ने 28 जनवरी 2011 में एक सिविल अपील मामले में दायर एसएलपी पर अपना फैसला सुनाते हुए पंजाब समेत सभी राज्यों को निर्देश दिया कि गांवों में वीसीएल वाली जमीनों पर जहां-जहां कब्जे हैं, उन्हें खाली कराया जाए। खासकर जिन गांवों में ऐसी जमीनों पर बने तालाबों को पाटकर कब्जा कर लिया गया है। देह शामलात जमीनों की पैमाइश भी कराई जाए। आरटीआई एक्टिविस्ट डॉ. ब्रह्मदत्त ने इस अदालती आदेश के मद्देनजर 22 अक्टूबर 2012 को फरीदाबाद के पीआईओ/बीडीपीओ के पास आरटीआई लगाई कि फरीदाबाद-बल्लभगढ़ तहसील के इलाके में पडऩे वाली देहशामलात जमीनों का पूरा क्षेत्रफल बताया जाए, इन पर बने तालाबों, पानी के टैंक और जिन वीसीएल जमीनों पर खेती की जा रही है, उनकी जानकारी दी जाए।

हर गांव में ऐसी जमीनों पर अवैध कब्जों की स्थिति बताई जाए। इन अवैध कब्जों को हटाने के लिए की गई कार्रवाई की भी जानकारी दी जाए।

आप अंदाजा लगाइए कि ऐसी सूचना देने में फरीदाबाद प्रशासन और हरियाणा सरकार को कितना समय लगना चाहिए एक साल…तीन साल…पांच साल…लगभग आठ साल तक इस आरटीआई को लेकर फाइलें घूमती रहीं। उल्टे-सीधे जवाब मिलते रहे। एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाली जाती रही। डॉ. ब्रह्मदत्त ने हार नहीं मानी। उन्होंने दो बार 17 सितंबर 2018 और 12 अप्रैल 2019 में सीएम विंडो पर यह शिकायत दर्ज कराई। सीएम विंडो पर दर्ज कराई गई शिकायतों में डॉ. ब्रह्मदत्त ने तमाम दस्तावेजों के साथ पूरा हवाला दिया था। लेकिन सीएम विंडो पर की गई शिकायत का भी कोई असर नहीं हुआ। इससे पता चलता है कि हरियाणा सरकार सीएम विंडो को लेकर कितनी गंभीर है। इसके बाद पद्मश्री एडवोकेट ब्रह्मदत्त ने 17 मार्च 2020 को मुख्यमंत्री हरियाणा को सारा ब्योरा देते हुए पत्र लिखा।

देर आयद दुरुस्त आयद

डॉ. ब्रह्मदत्त की आरटीआई से जब हलचल मची तो फरीदाबाद जिला प्रशासन भी जागा। फाइलों को झाड़पोंछ कर निकाला गया। फरीदाबाद के जिला उपायुक्त ने उनकी आरटीआई का संज्ञान लेते हुए 27 जुलाई 2020 को आदेश दिया कि फरीदाबाद, बल्लभगढ़ और बडख़ल तहसीलों और इनके तहत पडऩे वाली पांच सब तहसीलों में देहशामलात जमीनों की पैमाइश कराई जाए। जहां अवैध कब्जे हैं, उनका पता लगाया जाए। इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जाए। मजदूर मोर्चा की सूचना के मुताबिक यह आदेश सभी तहसीलों और सब तहसीलों में पहुंच चुका है लेकिन अभी आदेश पर अमल शुरू नहीं हुआ है। यह सूचना आरटीआई एक्टिविस्ट के पास कब तक पहुंचेगी, इस पर मजदूर मोर्चा की नजर बनी हुई है।

2900 एकड़ जमीन का मामला

डॉ. ब्रह्मदत्त ने बताया कि बल्लभगढ़ तहसील में ही 2900 एकड़ जमीन देहशामलात है। इनकी मार्केट वैल्यू करीब 6500 हजार करोड़ रूपये है। बहुत सारी जमीनों पर या तो कब्जे हैं या उन्हें अवैध रूप से बेच दिया गया है।

हर गांव में वहां की पंचायत की जिम्मेदारी होती है कि वो ऐसी जमीनों की रक्षा करे, उन्हें अवैध कब्जों से बचाए। कुछ जमीनों पर बने प्राचीन तालाब पाट दिए गए हैं, ये तालाब उस गांव के लिए पानी के बड़े संसाधन होते थे। लेकिन जमीन के मोह में सबकुछ बेच दिया गया। देहशामलात की जमीनों पर कब्जे बिना जिला पंचायत अफसरों की मिलीभगत के मुमकिन नहीं हैं। लेकिन सरपंच ऐसे अफसरों से मिलकर जमीन के वारे-न्यारे कर देते हैं।

पर, यह मामला अकेले एक तहसील का है। इस आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना का दायरा अगर पूरे हरियाणा में बढ़ाते हुए देहशामलात जमीनों का पता लगाया जाए तो हरियाणा सरकार को लाखों एकड़ जमीन बैठे-बैठे मिल जाएगी, जिसके जरिए वह राजस्व जुटाने के बारे में भी सोच सकती है। राज्य के आला अफसरों को इसकी जानकारी है लेकिन वे जानबूझकर इस मामले में कार्रवाई नहीं करना चाहते। क्योंकि तमाम जगहों पर नेताओं या उनके संरक्षण में पलने वाले गुंडों का भी कब्जा ऐसी जमीनों पर बना हुआ है। बिल्ली के गले में घंटी ये अफसर बांधना नहीं चाहते।

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